सातवाँ अध्याय माघ महात्म्य
सातवाँ अध्याय माघ महात्म्य दत्तात्रेय जी बोले- हे राजन्! दूत के साथ स्वर्ग जाते हुए विकुंडल ने पूछा- हे धर्मराज! मेरा संशय दूर करने के लिए यह बताओ कि हम दोनों भाईयों को इस प्रकार अलग-अलग क्यों फल मिला है। हम एक ही कुल में पैदा हुए एक ही साथ रहे, एक ही सा जीवन … Read more