श्रावण महात्म्य चौथा अध्याय – shravan maas chautha adhyay

श्रावण महात्म्य चौथा अध्याय ईश्वर ने सनत्कुमार जी से कहा- सनत्कुमार धारण पारण व्रत को मैं कहूँगा, उसे आप सुनो। पूर्व प्रतिपदा तिथि को पुण्यवाहक कराकर मेरे प्रसन्नार्थ धारण-पारण व्रत का संकल्प करें। धारण में उपवास तथा पारण में भोजन विहित है। व्रत करने वाला प्राणी मास की समाप्ति में उद्यापन करे। प्रथम श्रावण मास … Read more

सेवा का महत्व – सेवा का सौभाग्य तो विरलों को ही मिलता है।

सेवा का महत्व एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों ईश्वरभक्त थे। दोनों ईश्वर उपासना के बाद रोगियों की सेवा किया करते थे। एक दिन उपासना के समय ही कोई कष्ट पीड़ित रोगी आ गया। गुरुजी ने पूजा कर रहे शिष्यों को बुलवाया। शिष्यों ने कहा-अभी थोड़ी पूजा बाकी है, पूजा समाप्त होते ही आ … Read more

श्री सीता माता

जगज्जननी श्री सीता माता जी श्री सीता माता जी श्री सीता माता प्रेम की मूर्ति हैं और दया की समुद्र हैं। रामायण के अरण्यकाण्ड में जयन्त का प्रसंग आता है। जयन्त ने अपराध श्रीसीता माँ का ही किया परन्तु माताजी को उस पर दया आई। सन्त ऐसा मानते हैं कि जयन्त का अपराध अक्षम्य है, … Read more

श्रीराम नाम

भगवान् शंकर द्वारा श्रीराम नाम की महिमा भगवान् शंकर रामायण के प्रधान आचार्य हैं। रामचरित्र का वर्णन सौ करोड़ श्लोकों में श्रीशिवजी ने किया है- शतकोटिप्रविस्तरम् । रामायण के सौ करोड़ श्लोक हैं, उसको संक्षेप में कौन कर सकता है? शिवजी ने कहा है- ‘मैं श्रीरामजी की कथा करता हूँ, सब दिन सतत राम नाम … Read more

Hare Krishna ! हरे कृष्ण हरे राम महामंत्र का अर्थ

Hare Krishna ! हरे कृष्ण महामंत्र का अर्थ प्रत्येक मनुष्य को हर पल वह आनंद चाहिए जिसका कभी क्षय एवं अंत न हो। आनंद के आगार अर्थात् समुद्र श्रीकृष्ण ही हैं। हमें आनंद चाहिए तो उन श्रीकृष्ण से हमें हमारा मन, बुद्धि, अहंकार एवं चेतना को जोड़ना होगा। उदाहरणार्थ, यदि हमें सरोवर से पानी चाहिए … Read more

shri radha chalisa

श्री राधा chalisa

shri radha chalisa श्री युगल चरण कमलेभ्यो नमः श्री राधा चालीसा दोहा – श्री राधे वृषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार । वृन्दाविपिन विहारिणि प्रणवौं बारंबार ॥ जैसौ तैसौ रावरौ, कृष्ण प्रिया सुखधाम । चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥ जय वृषभानु कुँवरि श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिनि श्याम अधारा । … Read more

shri bankebihari chalisa

shri bankebihari chalisa श्री बांके बिहारी विनय पचासा श्री बांके बिहारी चालीसा दोहा – बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल। स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ॥ ॥ चौपाई ॥ जै जै जै श्री बांके बिहारी । हम आये हैं शरन तिहारी ॥१॥ स्वामी श्री हरिदास के प्यारे । भक्तजनन के नित रखवारे … Read more

श्रावण मास तीसरा अध्याय – shravan maas teesra adhyay

श्रावण मास तीसरा अध्याय सनत्कुमार जी ने कहा- हे भगवान! आपने व्रत समुदाय का उद्देश्य कहा! हे स्वामिन! इससे तृप्ति नहीं हुई, अतः आप सविस्तार कहें। सुरेश्वर जिसे सुन मैं कृत-कृत्य हो जाऊं। ईश्वर ने सनत्कुमार से कहा- हे योगीश! जो विद्वान श्रावण मास ‘नक्तव्रत’ कर बिताता है। वह बारह महीनों में नक्तव्रत का फल … Read more

jai ambe gauri aarti

jai ambe gauri aarti जय अम्बे गौरी जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी,तुमको निशिदिन ध्यावततुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी,ॐ जय अम्बे गौरी मांग सिंदूर विराजित,टीको जगमग तो,मैया टीको जगमग तोउज्ज्वल से दोउ नैना,उज्ज्वल से दोउ नैना,चंद्रवदन नीकोॐ जय अम्बे गौरी कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै,मैया रक्ताम्बर राजैरक्तपुष्प गल माला,रक्तपुष्प गल माला,कंठन पर साजैॐ जय अम्बे गौरी … Read more