mangal ki sewa aarti lyrics

mangal ki sewa aarti माता रानी की यह आरती बहुत कृपा बरसाने वाली है। इस आरती से माँ बहुत जल्दी प्रसन्न होती है। इस आरती में माँ की महिमा के साथ साथ हमारी प्रार्थना भी है। इस आरती में माँ के संत रूप कभी वर्णन किया गया है। माँ भक्तो और संतो की देवी है। … Read more

shankar ji ki aarti | शंकर जी की आरती lyrics

shankar ji ki aarti जय शिव ओंकारा हरि शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा। (टेक) – एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे (जय० ) दो भुज चार चतुर्भुज भुज ते सोहे। तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जग मोहे ( जय० ) अक्ष माला वनमाला रुण्डमाला धारी चन्दन मृगमद सोहे भाले शशिधारी (जय० ) … Read more

shri shaligram ji ki aarti

shaligram ji ki aarti | श्री शालिग्राम की आरती शालिग्राम सुनो विनती मोरी यह वरदान दयाकर पाऊँ । प्रात समय उठि मज्जन करके प्रेम सहित स्नान कराऊँ । चन्दन धूप दीप तुलसीदल वरण-वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥१॥ तुम्हरे सामने नृत्य करूं नित प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं। चरण धोय चरणामृत लेकर कुटुम्ब सहित बैकुण्ठ सिधाऊं … Read more

om jai jagdish hare aarti lyrics | ओं जय जगदीश हरे

om jai jagdish hare ओं जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे । भक्तजनों के संकट छिन में दूर करे ॥ ओं० १ जो ध्यावे फल पावे दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पत्ति घर आवे कष्ट मिटे तन का ॥ ओं० २ मात पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसकी । तुम बिन और न … Read more

Shri triveni ji ki aarti ! Ganga Aarti – Prayagraj

triveni ji ki aarti ! आरती श्री त्रिवेणी जी की ओं जय श्री त्रिवेणी ओं जय मां त्रिवेणी । तीरथराज प्रयाग प्रकाशनि सबको सुख देनी ॥ ओं गंगा जमुना प्रगट बहत मिलि, धन्य दोउ बहैनी । धारा गुप्त सरस्वती, सुगम स्वर्ग नसैनी ॥ १ ॥ अन्तरवेद शास्त्र शुचि महिमा, सत्य काल धैनी। पाप काटने भक्त … Read more

shri tulsi mata ki aarti

tulsi mata ki aarti जय जय तुलसी माता। सब जग की सुखदाता वरदाता ॥ जय० ॥ सब योगों के ऊपर सब रोगों के ऊपर । रुज से रक्षा, करके भव त्राता ॥ जय० ॥ बटु पुत्री हे श्यामा सुर बल्ली हे ग्राम्या । विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे सो नर तर जाता ॥ जय० ॥ … Read more

Shri yamuna ji ki aarti (ओ३म जय यमुना माता)

Shri yamuna ji ki aarti ! आरती श्री यमुनाजी की ओ३म जय यमुना माता , हरि ओ३म् जय यमुना माता । जो नहावे फल पावे, सुख की दाता ॥ ओ३म० ।। श्री यमुना जल शीतल अगम बहे धारा । जा धन शरण से कर दिया निस्तारा ॥ ओ३म्॥ जो जन प्रात ही उठकर नित्य स्नान … Read more

श्रावण मास महात्म्य दूसरा अध्याय – shravan maas dusra adhyay

श्रावण मास महात्म्य दूसरा अध्याय श्रावण मास महात्म्य दूसरा अध्याय शंकर जी ने सनत्कुमार से कहा- हे महाभाग ! ब्रह्मा पुत्र आप नम्र हैं। जिस कारण आप श्रद्धालु हैं। समस्त गुणों से युक्त श्रोता हैं। श्रावण मास के बारे में आपने जो पूछा वह प्रसन्नता से आप से कहता हूँ। हे तात! मैं आपसे कहूँगा, … Read more

श्रावण मास महात्म्य पहला अध्याय –  shravan maas mahatmya pehla

श्रावण मास महात्म्य पहला अध्याय श्रावण मास महात्म्य पहला अध्याय शौनक जी ने सूतजी से पूछा- हे महाभाग ! आपके मुख से अनेक आख्यान सुने मुझे तृप्ति नहीं हुई, फिर भी कुछ सुनने की इच्छा बढ़ती है। जिसके सुनने मात्र से मेरी अन्यत्र श्रवण करने की इच्छा न हो, ऐसी कोई कथा कहिये। सूतजी ने … Read more

shri ganga maiya ki aarti

ganga maiya ki aarti ओ३म जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता। चन्द्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता । ॐ.. पुत्र सागर के तारे, सब जग को ज्ञाता। तेरी कृपा दृष्टि मैया त्रिभुवन सुखदाता । ॐ.. एक बार जो … Read more