Prem Mandir Vrindavan
प्रेम मंदिर वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कहते हैं भगवान या महापुरुष कोई भी संकल्प लेते हैं तो कुदरत भी उसको पूरा करने में जुट जाती है। और उनके संकल्प हमेशा हम जैसे जीवो के हित के लिए ही होते हैं। सांसारिक जीवों को भक्ति पथ पर लाने के लिए ऐसे संकल्प लेते हैं जिससे उनका उद्धार हो सके। भगवान सीधा इस धरती पर नहीं आते वह महापुरुषों के रूप में इस धरती पर अवतरण लेते हैं।
ऐसा ही एक संकल्प लिया जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने श्री वृंदावन में एक भव्य मंदिर बनाने का। महापुरुषों की मौज आम बुद्धि वाले जीवो से परे की होती है। आम इंसान उनकी मौज और उनके संकल्प के रहस्य को नहीं जान सकता।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा प्रेम मंदिर का विलक्षण नाम और उसका रहस्य
प्रेम मंदिर यह नाम सुनते ही मन में जिज्ञासा पैदा होती है कि इस मंदिर का नाम प्रेम क्यों है ?
इस प्रश्न का उत्तर प्रेम मंदिर के संस्थापक भक्ति योग के अवतार जगदगुरू श्री कृपालुजी महाराज जी ने एक दोहे के रूप में दिया है
प्रेमाधीन ब्रह्म श्याम, वेद ने बताया। याते याय नाम, प्रेम मंदिर धराया ।।
भगवान के अधीन सब कुछ है परंतु वेदों ने बताया है कि भगवान भक्तों के प्रेम के अधीन है ।अतः भगवान से भी जो बड़ा है और भगवान सदा जिसके अधीन है उस ‘प्रेम’ तत्व के नाम पर मंदिर का नाम रखा गया है – प्रेम मंदिर
जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा प्रेम मंदिर का शिलान्यास
इस सर्वांग सुन्दर प्रेम मंदिर का शिलान्यास वेद मंत्रों को पवित्र ध्वनि के मध्य बंद मार्ग के पावन कर सादों द्वारा जगद्गुरु दिवस पर मकर सक्रान्ति दिनांक 14 जनवरी 2001 को सुसम्पन्न हुआ।
लगभग 1000 शिल्पकारों एवं वास्तुकारों के अथक प्रयासों से वृन्दावन में रमण रेती की परम पावन भूमि पर प्रकटित यह प्रेम मंदिर वास्तुकला, सुंदरता एवं भव्यता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। दिनांक 15 सितम्बर 2010 को राधाष्टमी के पावन पर्व पर मंदिर के शिखर पर कलश स्थापित किया गया।
प्रेम मंदिर की अभूतपूर्व विशेषतायें
- प्रेम मंदिर के निर्माण में 30,000 टन आयातित इटैलियन करारा मार्बल का प्रयोग किया गया है।
- ‘प्रेम मंदिर’ का सम्पूर्ण परिसर लगभग 54 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है।
- श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित श्रीकृष्ण की मधुरतम लीलाओं से उत्कीर्ण मंदिर की बाहरी दीवारों के 83 पैनल व श्रीमद्भागवत महापुराण के प्रवक्ता श्री शुकदेव परमहंस का मंदिर में विराजमान होना सिद्ध करता है कि प्रेम मंदिर श्रीमद्भागवत का मूर्तिमान स्वरूप है।
- प्रेम मंदिर में पूर्ववर्ती चारों जगद्गुरुओं एवं विभिन्न व्रज उसिकों का एक साथ विराजमान होना, श्री महाराज जी के समन्वयवादी सिद्धान्त की पुष्टि करता है। महाराज जी द्वारा रचित अनमोल साहित्य “कृपालु त्रयोदशी”, “ब्रजरस त्रयोदशी” एवं अनेकानेक पद, दोहे व रसिया आदि को मूल्यवान जड़ाऊ पत्थरों की पच्चीकारी द्वारा मंदिर की दीवारों पर उकेरा गया है।
कलश यात्रा व मंदिर प्रक्षालन
प्रेमाभक्ति के मूर्तिमान स्वरूप प्रेम मंदिर का उद्घाटन समारोह दिनांक 15, 16 एवं 17 फरवरी 2012 को सम्पूर्ण हुआ। दिनांक 15 फरवरी 2012 को श्री महाराज जी ने सभी भक्तों के समस्त तीथों के कोमें भरकर कलश यात्रा प्रारम्भ की तत्पश्चात् प्रेम मंदिर में प्रवेश एवं जल से मंदिर का प्रक्षालन किया।
शोभा-यात्रा व विग्रहों की पूजा-अर्चना
दिनांक 16 फरवरी 2012 को मंदिर में शोभायात्रा का आयोजन हुआ। सम्पूर्ण विधि-विधान से पूजा- अर्चना के पश्चात श्री राधाकृष्ण एवं श्रीसीताराम के श्री विग्रह हॉकी मंदिर के गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा की गई
प्रेम मंदिर का भव्य उद्घाटन समारोह
17 फरवरी 2012 को श्री महाराज जी ने दीप प्रज्वलन कर मंदिर में प्रवेश किया व मंदिर में उपस्थित समस्त समुदाय के साथ अपने कर कमलों द्वारा श्रीराधाकृष्ण एवं श्रीसीताराम के श्री विग्रहों की आरती की।
Prem Mandir Photo
इस मंदिर में श्री राधा कृष्ण लीलाएं गोवर्धन लीला कालिया नाग लीला और झूलन लीला की झांकियां दिखाई गई है।
दिन में यह मंदिर बिल्कुल सफेद संगमरमर की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर में स्पेशल लाइटनिंग है लगाई गई है जो हर 30 सेकेंड के बाद बदलती रहती है । शाम को यह मंदिर अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है जैसे नीले, लाल, गुलाबी,पीले आदि लाइटनिंग की वजह से कई कई सुंदर रंगीन नजारों में दिखाई देता है
Prem Mandir Address
Shri Kripalu Maharaj ji Marg , Raman Reiti , Varindavan , Uttar Pradesh 281121