क्षिप्रा किनारे बैठे हुए है मोरे उज्जैन के महाराज
दोहा भस्म से श्रृंगार सजा है. सा अलौकिक रूप हे. चंद्र विराजे माथे मुकुट सा. ऐसा उनका स्वरूप है ॥ क्षिप्रा किनारे बैठे शम्भू क्षिप्रा किनारे बेठे हुए है मोरे, उज्जैन के महाराज, उज्जैन के महाराज, मोरे उज्जैन के महाराज, क्षिप्रा किनारे बैठे हुए है. मोरे उज्जैन के महाराज ॥ तेरी नगरीया आते हे योगी, … Read more