केतु ग्रह (शस्त्रों का अधिनायक)

केतु ग्रह

केतु पाप ग्रह होते हुए भी शुभ फल देता है। इसकी स्वराशि मीन, उच्चराशि धनु, नीचराशि मिथुन तथा सिंह मूल त्रिकोण राशि है। यह वृष, धनु और मीन राशि में बलवान होता है। इसका विशेष फल ४८ और ५४ वर्ष में मिलता है। केतु का भाव तमोगुणी और रूप मलिन है। यह शास्त्रों का अधिनायक है। इससे चर्म रोग तथा गुप्त षड्यंत्र आदि का विचार किया जाता है।

यन्त्र एवं मन्त्र

केतु ग्रह

इस यंत्र को धारण करने से केतु पीड़ा का निवारण होता है। पराक्रम व सुख-स्मृद्धि में वृद्धि व यश प्राप्त होता है।

केतु यंत्र को सिद्ध करने के लिए ‘स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नम:’

इस मूलमंत्र का १७ हज़ार जप करना चाहिए। जप का दशांश हवन, हवन का दशांश मार्जन, मार्जन का दशांश तर्पण और तर्पण का दशांश ब्राह्मण भोजन कराएं।

दान व स्नान

पंचधातु या लोहे का टुकड़ा, शस्त्र, कंबल, तिल का तेल, कस्तूरी, धूम्रवस्त्र, श्याम वर्ण वाले पुष्प, सुवर्ण, नारियल, लहसुनिया, सप्त धान्य, बकरा और दक्षिणा- इनका दान करने से केतु की शांति होती है

इसी प्रकार रक्त चंदन, लजालू, बला, मोथा, सहदेई, प्रियंगु एवं हिंगोठ मिश्रित जल से स्नान करने से केतु ग्रह की बाधाएं दूर होती हैं। ॐ स्वामी पूजन

श्री गणेश का ध्यान करते हुए- ‘ॐ वक्रतुंडाय हुं’ इस मंत्र का ६ लाख जप करें। दशांश का होम करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। दरिद्रता का नाश होता है।

रत्न धारण

जातक को बुधवार अथवा शुक्रवार के दिन जब अश्विनी, मघा अथवा मूल नक्षत्र पड़े अथवा मीन, मेष या धनु राशि का चंद्रमा हो तो लोहे या पंचधातु की ७ रत्ती की मुद्रिका में ४ रत्ती का लहसुनिया रत्न जड़वाकर, दूसरे दिन प्रातःकाल पूजादि कर मध्यमा उंगली में धारण करने से केतु के प्रकोप से शांति मिल जाती है।

रत्न धारण करते समय जातक मूलमंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करें।

टोटके व उपाय

केतु के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए जातक गणेश जी व भैरव जी की उपासना करें। केले के पत्ते पर चावल परोसकर भोग लगाएं।

पूर्णिमा की रात्रि खीर चांदी के बर्तन में रखकर चांदनी में रखें, सुबह कुछ कन्याओं को, कुछ अंश गाय तथा बाकी स्वयं ग्रहण करें।

काली गाय के घी का मन्दिर में दीपक रोज जलाएं।

तिल के लड्डू सुहागिनों को खिलाएं। स्वर्ण को शरीर पर धारण करें।

काला-सफेद कुत्ता ज़रूर पालें। यदि वह मर जाए, तो दूसरा ले आएं।

● केले, स्वर्ण, गेहूं, तिल, गुड़ और काला सफेद कंबल पुरोहित को दान करें।

● रविवार को कन्याओं को मीठा दहीं व हलवा खिलाएं।

बर्फी के चार टुकड़े बहते पानी में बहाएं। सफेद रेशम का धागा कंगन की तरह बांधें।

सूर्य ग्रह (ग्रहों के अधिपति)चंद्र ग्रह (सौंदर्य का प्रतीक)
मंगल ग्रह – (युद्ध का देवता)बुध ग्रह (व्यवसाय प्रतिनिधि)
बृहस्पति ग्रह (देवगुरु)शुक्र ग्रह (दैत्य गुरु)
शनि ग्रह (अंतर्मन का स्वामी)राहु ग्रह (विनाश का कारक)
केतु ग्रह (शस्त्रों का अधिनायक)

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