बुध ग्रह (व्यवसाय प्रतिनिधि)

बुध ग्रह का दिन बुधवार है। बुध व्यवसाय का प्रतिनिधि ग्रह है। यह उत्तर दिशा का स्वामी और नपुंसक तथा त्रिदोषकारी है। मनुष्य के शरीर में कंधे से लेकर ग्रीवा तक इसका नियंत्रण होता है।

अशुभ बुध के प्रभाव से जातक अविश्वासी,शंकालु और स्वार्थी प्रकृति का हो जाता है, जिसके फलस्वरूप समाज में उसकी प्रतिष्ठा गिरती है। स्नायु, श्वास, सिरदर्द, वाणीदोष, तपेदिक, मतिभ्रम, श्वेत कुष्ठ, उदर एवं गुप्त रोगों की उत्पत्ति बुध के अशुभ प्रभाव के कारण ही होती है।

कुण्डली के चौथे घर में बैठा बुध जातक की हानि करता है। गले की बीमारी होती है।

व्रत का नियम

इस व्रत में दिन में केवल एक ही बार भोजन किया जाता है। यह व्रत शंकर भगवान का है। शंकर जी की पूजा दीप, धूप, बेल पत्रादि और बेल फल से की जाती है। व्रत की समाप्ति से पहले बुधदेव की कथा अवश्य सुननी चाहिए।

यन्त्र एवं मन्त्र

बुध ग्रह

इस यंत्र को धारण करने से बुध पीड़ा का निवारण होता है। जिसकी जन्मकुंडली में बुध नेष्ट राशि में पड़ा हो वह बुधवार के दिन बुध यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम एवं अष्टगंध से लिखकर धारण करे। इससे नेष्ट बुध का अशुभ फल समाप्त हो जाता है।

मंत्र ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ।

: उपरोक्त मंत्र ९ हज़ार की संख्या में जपने

से सिद्ध हो जाता है। इस सिद्ध मंत्र का जप ज्येष्ठा नक्षत्रगत किसी बुधवार से प्रारंभ करना चाहिए।

उसके बाद नित्य मंत्र का ११ माला जप करने से बुध का अशुभ प्रभाव नहीं रहता।

दान व स्नान

हरे रंग के वृक्ष, गो घृत, शक्कर, कपूर, पांच प्रकार के ताजा फल, पीले पुष्प, मूंगा, सुवर्ण, कांस्य, हाथीदांत और धन रूप में कुछ दक्षिणा में इन वस्तुओं का दान करने से बुध से संबंधित पीड़ा का शमन होता है।

मोती, अक्षत, गोरोचन, जायफल, सुवर्ण, पीपरामूल, गाय का गोबर और मधु मिश्रित जल से स्नान करने पर बुध के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। प्रत्येक बुधवार इस प्रकार स्नान करें।

स्वामी पूजन

बुध ग्रह की स्वामिनी दुर्गा है। मां दुर्गा का आठ अक्षरों का मंत्र है – ‘ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ।’ इसका ८ लाख जप करें। इस मंत्र का अनुष्ठान अष्टसिद्धियों को देने वाला है। कम से कम एक लाख जप का पुरश्चरण करें।

रत्न धारण

जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में बुध शुभ भाव का अधिपति हो, उसे बुधवार के दिन चांदी की अंगूठी में पन्ना जड़वाकर धारण करना चाहिए। बुध का रत्न पन्ना है। पन्ना का भार ३ रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। इसे सोने की अंगूठी में धारण करें।

ध्यान रहे मोती और मूंगा इसके साथ धारण न करें।

टोटके व उपाय

दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति का पाठ करें।

व्रत रखें एवं एक समय मीठा भोजन करें।

नाक छिदवाना अथवा दांत साफ रखना कल्याणकारी होता है।

तांबे के पत्तर में छेद करके उसे दरिया में प्रवाहित करें।

बुध नीच का हो तो चौड़े पत्तों वाले पौधे, चक्की का पाट या बांस इत्यादि मकान की छत पर न रखें।

मिट्टी के बर्तन में पानी पिएं।

मंगलवार की रात को मूंग भिगोकर रखें।

उसे बुधवार को प्रातः जानवरों को खिलाएं।

४३ दिन तक यह क्रम जारी रखें।

सूर्य ग्रह (ग्रहों के अधिपति)चंद्र ग्रह (सौंदर्य का प्रतीक)
मंगल ग्रह – (युद्ध का देवता)बुध ग्रह (व्यवसाय प्रतिनिधि)
बृहस्पति ग्रह (देवगुरु)शुक्र ग्रह (दैत्य गुरु)
शनि ग्रह (अंतर्मन का स्वामी)राहु ग्रह (विनाश का कारक)
केतु ग्रह (शस्त्रों का अधिनायक)

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