रामचरितमानस के पाठ से भोलेनाथ शिव की भी कृपा प्राप्त होती है

रामचरितमानस के पाठ से भोलेनाथ शिव की भी कृपा प्राप्त होती है

पहला श्लोक-

पहला श्लोक है – “वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु, शंकर रूपिणम | यमाश्रितो हि वक्रोपि, चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते ||”-

इस श्लोक में शिव जी को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई गई है.-

कोई भी पूजा उपासना करने के पूर्व इस श्लोक को पढ़ लेना चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण फल मिल सके.•

अगर पूजा में कोई समस्या आ जाय तो शिव कृपा से वह – समाप्त हो जाती है.

दूसरा दोहा
“महामंत्र जोई जपत महेसू, कासी मुकुति हेतु उपदेसू | “
– जब भी आप मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हों उसके पहले यह दोहा पढना चाहिए.-
शिव जी की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली भी.

तीसरा दोहा•

तीसरा दोहा है – “संभु सहज समरथ भगवाना, एही बिबाह सब विधि कल्याणा |

• जब संतान के दाम्पत्य जीवन में समस्या आ रही हो तब इस – दोहे का प्रभाव अचूक होता है.-

नित्य प्रातः शिव जी के समक्ष इस दोहे का १०८ बार जाप करें, फिर अपने संतान के सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें .

चौथा दोहा

• चौथा दोहा है – “जो तप करे कुमारी तुम्हारी, भावी मेटी सकही त्रिपुरारी |”

– अगर जीवन में ग्रहों या प्रारब्ध के कारण कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह दोहा अत्यंत फलदायी होता है

– इस दोहे को चारों वेला कम से कम १०८ बार पढने से भाग्य का चक्र भी बदल सकता है

.- परन्तु कुछ ऐसी कामना न करें जो उचित न हो

पांचवा दोहा-

पांचवा दोहा है “तव सिव तीसर नयन उघारा, कामु भयऊ जरि छारा |
” चितवत- अगर मन भटकता हो और अत्यंत चंचल हो तो यह दोहा लाभकारी होता है.-

जो लोग काम चिंतन और काम भाव से परेशान हों उनके लिए यह दोहा अत्यंत प्रभावशाली है.

छठवां दोहा-

छठवां दोहा है- “पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा, हिय हरसे तब सकल सुरेसा |
वेद मंत्र मुनिवर उच्चरहीं, जय जय जय संकर सुर करहीं ||
• अगर विवाह होने में बाधा आ रही हो तो इस दोहे का जाप अत्यंत शुभ होता है.
– प्रातः काल शिव और पार्वती के समक्ष इस दोहे का जाप करने से शीघ्र और सुखद विवाह होता है.

सातवां दोहा-

सातवाँ दोहा है – “बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी, त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी | “

– अगर आर्थिक समस्याएँ ज्यादा हों या रोजगार की समस्या हो तो इस दोहे का जाप करना चाहिए.

– प्रातः और रात्रि के समय भगवान शिव के समक्ष कम से कम १०८ बार इस दोहे का जाप करना चाहिए

आठवां दोहा-

आठवां दोहा, शिव जी के द्वारा की गई श्री राम की स्तुति है .
– यह उत्तरकाण्ड में छन्द के रूप में उल्लिखित है
• अगर केवल इसी स्तुति को नित्य प्रातः भाव से गाया जाय, तो जीवन की तमाम समस्याएँ मिट जाती हैं

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