श्री संतोषी मां स्तोत्र

श्री संतोषी मां स्तोत्र -यह स्तोत्र हर शुक्रवार को जरूर पढ़े।

श्री संतोषी मां स्तोत्र

जय गणेश जय पार्वती जय शंकर अविनाशी । वीना धारी सरस्वती जय अम्बे सुखराशि।

जय मां वैष्णो कालिका चण्डी आदि भवानी।जय गौरी संतोषी मां कौमारी रानी ।

सर्व सुखो की दाती मां ज्वाला जगत आधार । चरण कमल में आपके ‘चमन’ का नमस्कार ।

करोड़ो तेरे नाम सुखधाम है। सभी नामों को मैय्या प्रणाम हैं।

गृहस्थी के घर में तू सुखदायिनी । उमा तू है तू ब्रह्माणी नारायणी ।

पतित को तू कर देती निर्दोष मां । नमस्कार तुझको ऐ सन्तोषी मां, सन्तोषी मां।

जो श्रद्धा से मैय्या तेरा नाम ध्याए । जो सन्तोषी मां कह के तुझको बुलाए।

कभी भी कोई कष्ट उस पे न आए। कर्म फल भी उस पर न चक्कर चलाए।

तकदीर बिगड़ी बना देती हो।तू सन्तोषी आशा पूजा देती हो।

तेरा नाम लेते ही मोह काम सारे। ये अहंकार और क्रोध भी लोभ सारे।

जपे नाम तेरा तो मिट जाते हैं। तेरे दासों के न निकट आते हैं।

जो भक्तों के मन में डेरा लगा ले।तो सेवक ‘चमन’ तेरा हर सुख को पा ले।

तु सन्तोषी मां द्वेषों को दूर करती। तू निर्धन के भण्डारे भरपूर करती ।

तू सन्तोषी दाती सिखाती सबर है। तुझे मैय्या हर मन की रहती खबर है।

जो तेरे ही गुण गाए पढ़ कर यह वाणी। रहे वह सुखी मैय्या सन्तोषी रानी ।

दोहा: सन्तोषी मां अम्बिके सुखदानी वरदात । कामना पूरी करो मेरी नाम जपूं दिन रात।

तू शक्ति तू चण्डी महाकाली तू । तू देवी तू दुर्गा है बलशाली तू।

निर्माण कर्ता तू संहारकर्ता ।तू सब में समाई तू पापों की हर्ता ।

तू सब को प्रिय सब पे उपकार करती। तू सन्तोषी मा सब के भण्डार भरती ।

तू हर कार्य को सिद्ध है करने वाली।महागौरी चामुण्डे दुःख हरने वाली ।

तेरे चरणों में सर झुकाता हूं मैय्या । मैं तेरी ही जय जय बुलाता हूं मैय्या |

तू पद्मा भी है लक्ष्मी ईश्वरी हैं।तू ही हंसवाहिनी तू परमेश्वरी है।

तू गरुड़ आसनी शक्तिशाली कौमारी। तू दुःख शोक नाशिनी है संकट हारी।

तुम चंचलता भय हटाती हो मां ।तुम हर जीव को सुख पहुंचाती हो मां ।

मां सन्तोषी तेरा प्रिय नाम है। ‘चमन’ का तुझे लाखो प्रणाम है।

दोहा: सन्तोषी मां करो कृपा जग की पालनहार । सुखी रहे परिवार यह भरे रहें भण्डार ।

जिस पर तेरी हो कृपा रहे सदा खुशहाल । दुनियां दुश्मन हो ‘चमन’ बांका न हो बाल ।

वरदाती तू सरल स्वभाव संतोषी मा नाम । ‘चमन’ का तेरे चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

मैय्या तेरा पाठ जो पढ़ेगा निश्चय धार । पूजे श्रद्धा से तुझे नित्य ही शुक्रवार ।

उसके हृदय में सदा करना आप निवास । ऐसे अपने दास की पूर्ण करना आस ।

कमी कोई न रहे उसे मनवांछित फल पाए। ‘चमन’ जो मां संतोषी को शुक्रवार ध्याए ।

अपने नाम की लाज ए माता आप निभाओ। मैय्या अपने दास को सदा सुख पहुंचाओ।

चरण वन्दना करता है ‘चमन’ यह भारद्वाज। सुखदायनी मां सदा रखना सब की लाज।

लोभ न हो मन में कभी कपट कभी न आए। तेरा ही हो आसरा तेरे ही गुण गाए।

तब ही जानूंगा जन्म सफल है मेरा आज। ‘चमन’ तेरा सेवक बने छोड़ जगत की लाज।

सबको सुख पहुंचाओ मां जपे जो तेरा नाम। सन्तोषी मां ‘चमन’ का कोटि कोटि प्रणाम।

शुक्रवार को नित्य पढ़े जो तेरी वाणी ।पूरी तू सन्तोषी मां कर उस की मन मानी।

तू ही दाती अम्बिके सन्तोषी सुख धाम। ‘चमन का तेरे चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

‘चमन’ की दुर्गा स्तुति का घर घर है सम्मान। लिखवाई मां आप ही ‘चमन’ को दे वरदान |

इसके पढ़ने सुनने से सबका है कल्याण | जगदम्बे मां वैष्णों ‘चमन’ रखेगी मान ।

श्रद्धा भक्ति शक्ति का फल पायेगा दास । पढ़े जो दुर्गा स्तुति ‘चमन’ सहित विश्वास ।

मन का स्वार्थ त्याग कर, मां की जोत जलाए। श्रद्धा और विश्वास से भेंट मैय्या की गाए।

जो मिल जाए भाग्य से करे उस पे सन्तोष। कष्टों से घबरा कर, ‘चमन’ जाने दे न होश।

कर्म गति सन्तोषी मां देगी बदल जरुर । भक्ति में जो कभी भी होवे न मगरुर ।

लाज मान रखेगी मां सन्तोषी जगतार | यह ही वरदाती ‘चमन’ है तेरी रखवार ।

चमन की श्री दुर्गा स्तुति

श्री दुर्गा स्तुति अध्याय

महा चण्डी स्तोत्र
महा काली स्तोत्र
नमन प्रार्थना
माँ जगदम्बे जी आरती
महा लक्ष्मी स्तोत्र
श्री संतोषी माँ स्तोत्र
श्री भगवती नाम माला
श्री चमन दुर्गा स्तुति के सुन्दर भाव
श्री नव दुर्गा स्तोत्र – माँ शैलपुत्री
दूसरी ब्रह्मचारिणी मन भावे – माँ ब्रह्मचारिणी
तीसरी ‘चन्द्र घंटा शुभ नाम –  माँ चंद्रघण्टा
चतुर्थ ‘कूषमांडा सुखधाम’ – माँ कूष्मांडा
पांचवी देवी असकन्ध माता – माँ स्कंदमाता 
छटी कात्यायनी विख्याता – माँ कात्यायनी
सातवीं कालरात्रि महामाया – माँ कालरात्रि
आठवीं महागौरी जगजाया – माँ महागौरी
नौवीं सिद्धि धात्री जगजाने – माँ सिद्धिदात्री
अन्नपूर्णा भगवती स्तोत्र

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