भगवान युगलकिशोर की आरती

युगलकिशोर की आरती

आरति जुगल किसोर की कीजै, तन मन धन न्योछावर कीजै ॥

गौर स्याम मुख निरखन कीजै, प्रेम स्वरूप नयन भर पीजै ।

रबि ससि कोटि बदनकी सोभा, ताहि देखि मेरो मन लोभा ॥

मोर मुकुट कर मुरली सोहै, नटवर वेष निरख मन मोहै ।

ओढ़ें पीत नील पट सारी। कुंजन ललना- लाल बिहारी ॥

श्रीपुरुषोत्तम गिरिबरधारी, आरति करत सकल ब्रजनारी ।

नंदनंदन बृषभानु-किसोरी, परमानंद प्रभु अबिचल जोरी ॥

बांके बिहारी जी की कथा

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