बालाजी चालीसा
चालीसा
श्री बालाजी चालीसा एक भक्ति गीत है जो श्री बालाजी पर आधारित है। भगवान हनुमान का एक नाम बालाजी है।
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म दिवस मनाया जाता है। वैसे वायु-पुराणादिकों के अनुसार कार्तिक की चौदस के दिन हनुमान जयन्ती अधिक प्रचलित है। इस दिन हनुमान जी को सजा कर उनकी पूजा-अर्चना एवं आरती करें। भोग लगा कर सब को प्रसाद देना चाहिए।
॥ दोहा ॥
विश्व विदित वर दानी, संकट हरण हनुमान। मैंहदीपुर में प्रगट भये,बालाजी भगवान ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान बालाजी देवा । प्रगट भये यहां तीनों देवा॥
प्रेतराज भैरव बलवाना। कोतवाल कप्तानी हनुमाना॥
मैंहदीपुर अवतार लिया है। भक्तों का उध्दार किया है॥
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर संकट वाले आते जहाँ पर ॥
डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं । मशान चुड़ैल भूत भूतनीं ॥
जाके भय ते सब भाग जाते। स्याने भोपे यहाँ घबराते॥
चौकी बन्धन सब कट जाते। दूत मिले आनन्द मनाते॥
सच्चा है दरबार तिहारा।शरण पड़े सुख पावे भारा॥
रूप तेज बल अतुलित धामा सन्मुख जिनके सियरामा॥
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा। सबकी होवत पूर्ण आशा ॥
महन्त गणेशपुरी गुणीले । भये सुसेवक राम रंगीले ॥
अद्भुत कला दिखाई कैसी। कलयुग ज्योति जलाई जैसी॥
ऊँची ध्वजा पताका नभ में स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में ॥
धर्म सत्य का डंका बाजे । सियाराम जय शंकर राजे ॥
आन फिराया मुगदर घोटा। भूत जिन्द पर पड़ते सोटा॥
राम लक्ष्मन सिय ह्रदय कल्याणा। बाल रूप प्रगटेहनुमाना॥
जय हनुमन्त हठीले देवा । पुरी परिवार करत हैंसेवा ॥
लड्डू चूरमा मिश्री मेवा।अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा ॥
दया करे सब विधि बालाजी संकट हरण प्रगटे बालाजी ॥
जय बाबा की जन जन ऊचारे । कोटिक जन तेरे आये द्वारे॥
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा । तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा ॥
देवन विनती की अति भारी । छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी ॥
लांघि उदधि सिया सुधि लाये। लक्ष्मन हितसंजीवन लाये॥
रामानुज प्राण दिवाकर।शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर ॥
केशरी नन्दन दुख भव भंजन रामानन्द सदा सुखसन्दन॥
सिया राम के प्राण पियारे । जब बाबा की भक्त ऊचारे॥
हे संकट दुख भंजन भगवाना। दया करहु हे कृपा निधाना ॥
सुमर बाल रूप कल्याणा।करे मनोरथ पूर्णकामा॥
अष्ट सिध्दि नव निधि दातारी भक्त जन आवे बहु भारी ॥
मेवा अरु मिष्ठान प्रवीना । भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना ॥
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे । रिध्दि सिध्दियां जाके द्वारे॥
अर्जी का आदेश मिलते ही । भैरव भूत पकड़ते तबही ॥
कोतवाल कप्तान कृपाणी । प्रेतराज संकट कल्याणी॥
चौकी बन्धन कटते भाई। जो जन करते हैं सेवकाई॥
रामदास बाल भगवन्ता । मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता ॥
जो जन बालाजी में आते। जन्म जन्म के पाप नशाते ॥
जल पावन लेकर घर जाते। निर्मल हो आनन्द मनाते ॥
क्रूर कठिन संकट भग जावे।सत्य धर्म पथ राह दिखावे ॥
जो सत पाठ करे चालीसा। तापर प्रसन्न होय बागीसा ॥
कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे । सुख समृध्दि रिध्दि सिध्दि पावे॥
॥ दोहा ॥
मन्द बुध्दि मम जानके,क्षमा करो गुणखान। संकट मोचन क्षमहु मम,दास स्नेही कल्याण॥
चालीसा
- Shri ganesh chalisa
- श्री शनि चालीसा
- कृष्ण चालीसा
- श्री लक्ष्मी चालीसा – धन की कभी कमी नहीं होगी
- श्री विश्वकर्मा चालीसा
- श्री नवग्रह चालीसा
- श्री भैरव चालीसा
- श्री बटुक भैरव चालीसा
- ब्रह्मा चालीसा
- विष्णु चालीसा
- सूर्य देव चालीसा
- राम चालीसा
- गोपाल चालीसा
- श्री हनुमान चालीसा
- श्री तुलसी चालीसा – धन्य धन्य श्री तुलसी माता
- ललिता माता चालीसा – जयति जयति जय ललिते माता
- श्री सरस्वती चालीसा – जय श्री सकल बुद्धि बलरासी
- श्री गंगा चालीसा – जय जय जननी हराना अघखानी
- श्री महालक्ष्मी चालीसा – नमो महालक्ष्मी जय माता
- श्री कुबेर भण्डारी – जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी
- श्री रामदेव चालीसा – द्वारकेश से आय कर, लिया मनुज अवतार
- श्री गिरिराज चालीसा
- श्री बालाजी चालीसा
- श्री परशुराम चालीसा
- श्री शारदा चालीसा – जय जय जय शारदा महारानी।
- श्री नर्मदा चालीसा – जय जय जय नर्मदा भवानी
- श्री अन्नपूर्णा चालीसा -नित्य आनन्द करिणी माता
- श्री पार्वती चालीसा – ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे
- श्री वैष्णो चालीसा – नमो: नमो: वैष्णो वरदानी।
- श्री राधा चालीसा – जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा
- श्री महाकाली चालीसा -जय काली कंकाल मालिनी।
- श्री काली माता चालीसा – जय जय जय काली कंकाली।
- श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा – जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
- श्री शीतला चालीसा – विस्फोटक से जलत शरीरा
- श्री पितर चालीसा – हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद ।
- श्री राणी सती चालीसा – श्री गुरु पद पंकज नमन,दूषित भाव सुधार
- श्री बाबा गंगाराम चालीसा – अलख निरंजन आप हैं,निरगुण सगुण हमेश
- श्री प्रेतराज चालीसा – जय जय प्रेतराज जग पावन
- श्री महावीर चालीसा – जय महावीर दयालु स्वामी
- श्री जाहरवीर चालीसा – जय जय जय जाहर रणधीरा
- श्री गोरखनाथ चालीसा -जय जय गोरख नाथ अविनासी
- श्री रविदास चालीसा – जै होवै रविदास तुम्हारी
- श्री साईं चालीसा – पहले साई के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं
- श्री शाकम्भरी चालीसा – शाकम्भरी माँ अति सुखकारी