पांचवी देवी असकन्ध माता – माँ स्कंदमाता
माँ स्कंदमाता माँ स्कंदमाता माता जै तेरी हो असकन्ध माता।पांचवां नाम तुम्हारा आता । सब के मन की जानन हारी।जग जननी सब की महतारी। तेरी जोत जलाता रहूं मैं । हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं । कई नामों से तुझे पुकारा । मुझे एक है तेरा सहारा । कहीं पहाड़ों पर है डेरा । कई … Read more