महा काली स्तोत्र

महा काली स्तोत्र – कलह कलेश चिंता से बचने के लिए पढ़े। महा काली स्तोत्र जय शक्ति जय जय महाकाली।जय शक्ति जय जय महाकाली। आदि गणेश मनाऊं दाती । चरण्ण सीस निवाऊं दाती। तेरे ही गुण गाऊं दाती। तू है कष्ट मिटावन वाली। जय शक्ति जय जय महाकाल जय शक्ति………. खण्डा दायें हाथ बिराजे बायें … Read more

महा चण्डी स्तोत्र

महा चण्डी स्तोत्र – धन दौलत कारोबार के लिए यह स्तोत्र पढ़े। महा चण्डी स्तोत्र जय चण्डी अम्बे महारानी। जय वरदाती जय कल्याणी । सिंह वाहिनी खड़ग धारनी। जय दुर्गा जय दैत्य संहारनी। दक्ष सुता जय उमा भवानी। शंकर प्रियदाती सुखदानी। चिंता सकल निवारन वाली। मुंड माल को धारने वाली। मधु कैटम संहारे तू नैं … Read more

तेरहवां अध्याय

तेरहवां अध्याय – मान तथा लाभ के लिए तेरहवां अध्याय ऋषिराज कहने लगे मन में अति हर्षाए। तुम्हें महात्म देवी का मैंने दिया सुनाए। आदि भवानी का बड़ा है जग में प्रभाओ। तुम भी मिल कर वैश्य से देवी के गुण गाओ। यह मोह ममता सारी मिटा देवेगी। सभी आस तुम्हारी पुजा देवेगी। शरण में … Read more

बारहवां अध्याय

बारहवां अध्याय – भक्ति प्राप्त करने के लिए बारहवां अध्याय द्वादश अध्याय मे है मां का आर्शीवाद । सुनो राजा तुम मन लगा देवी देव संवाद । महालक्ष्मी बोली तभी करे जो मेरा ध्यान । निशदिन मेरे नामों का जो करता है गान। बाधाएं उसकी सभी करती हूं मैं दूर । उसके ग्रह सुख सम्पत्ति … Read more

ग्यारहवाँ अध्याय

ग्यारहवाँ अध्याय – व्यापार ,सुख के लिए सम्पति के लिए। ग्यारहवाँ अध्याय ऋषिराज कहने लगे सुनो ऐ पृथ्वी नरेश, महा असुर संहार से मिट गए सभी क्लेश इन्द्र आदि सभी देवता टली मुसीबत जान । हाथ जोड़कर अम्बे का करने लगे गुणगान । तू रखवाली मां शरणागत की करे। तू भक्तों के संकट भवानी हरे। … Read more

दुर्गा स्तुति in audio or mp3

दुर्गा स्तुति in audio or mp3 माँ आनन्देश्वरी श्री दुर्गा स्तुति पढ़ने के लिए माँ आनन्देश्वरी चमन की श्री दुर्गा स्तुति in pdf आनंद संदेश

दसवां अध्याय

दसवां अध्याय – हर प्रकार की मनोकामना के लिए दसवां अध्याय दोहाः ऋषिराज कहने लगे- मारा गया निशुम्भ क्रोध भरा अभिमान ,से बोला भाई शुम्भ। अरी चतुर दुर्गा तुझे लाज जरा न आए। करती है अभिमान तू बल औरों का पाए। जगदाती बोली तभी दुष्ट तेरा अभिमान ।मेरी शक्ति को भला सके कहां पहचान। मेरा … Read more

नवम् अध्याय

नवम् अध्याय – पाठ मात्र से ही मिटे भीष्ण कष्ट अपार नवम् अध्याय राजा बोला ऐ ऋषि महिमा सुनी अपार। रक्तबीज को युद्ध में चण्डी दिया सहार। कहो ऋषिवर अब मुझे शुम्भ निशुम्भ का हाल। जगदम्बे के हाथों से आया कैसे काल । ऋषिराज कहने लगे राजन सुन मन लाय। दुर्गा पाठ का कहता हूं … Read more

आठवां अध्याय

आठवां अध्याय – निस दिन पढ़े जो प्रेम से शत्रु नाश हो जाय आठवां अध्याय दोहा:- काली ने जब कर दिया चण्ड मुण्ड का नाश । सुनकर सेना का मरण हुआ निशुम्भ उदास । तभी क्रोध करके बढ़ा आप आगे। इक्ट्ठे किए दैत्य जो रण से भागे। कुलों की कुलें असुरों की ली बुलाई। दिया … Read more

सातवां अध्याय

सातवां अध्याय – दुर्गा स्तुति का हर कामना पूरी करने के लिए सातवां अध्याय चण्ड मुंड चतुरंगणी सेना को ले साथ । अस्त्र शस्त्र ले देवी से चले करने दो हाथ। गये हिमालय पर जभी दर्शन सब ने पाए। सिंह चढ़ी मां अम्बिका खड़ी वहां मुस्कराए। लिये तीर तलवार दैत्य माता पे धाए । दुष्टों … Read more