दसवां अध्याय – हर प्रकार की मनोकामना के लिए
दसवां अध्याय
दोहाः ऋषिराज कहने लगे- मारा गया निशुम्भ क्रोध भरा अभिमान ,से बोला भाई शुम्भ।
अरी चतुर दुर्गा तुझे लाज जरा न आए। करती है अभिमान तू बल औरों का पाए।
जगदाती बोली तभी दुष्ट तेरा अभिमान ।मेरी शक्ति को भला सके कहां पहचान।
मेरा ही त्रिलोक में है सारा विस्तार | मैंने ही उपजाया है यह सारा संसार ।
चण्डी, काली, ऐन्द्री, सब ही मेरा रुप ।एक हूं मैं ही अम्बिका मेरे सभी सवरूप ।
मैं ही अपने रूपों में इक जान हूं। अकेली महा शक्ति बलवान हूं।
बढ़ा शुम्भ आगे गरजता हुआ। गदा को घुमाता तरजता हुआ।
तमाशा लगे देखने देवता। अकेला असुर राज था लड़ रहा ।
अकेली थी दुर्गा इधर लड़ रही। वह हर वार पर आगे थी बढ़ रही।
असुर ने चलाए हजारों ही तीर।जरा भी हुई न वह मैय्या अधीर ।
तभी शुम्भ ने हाथ मुगदर उठाया। असुर माया कर दुर्गा पर वह चलाया।
चक्र से काटा भवानी ने वो।गिरा धरती पे हो के वह टुकड़े दो।
उड़ा शुम्भ आकाश में आ गया। वह ऊपर से प्रहार करने लगा।
तभी की भवानी ने ऊपर निगाह । तो मस्तक का नेत्र वहीं खुल गया।
हुई ज्वाला उत्पन्न बनी चण्डी वो।उड़ी वायु में देख पाखण्डी को ।
फिर आकाश में युद्ध भयंकर हुआ। वहां चण्डी से शुम्भ लड़ता रहा।
दोहाः मारा रण चण्डी ने तब थप्पड़ एक महान | हुआ मूर्छित धरती पे गिरा शुम्भ बलवान |
जल्दी उठकर हो खड़ा किया घोर संग्राम | दैत्य के उस पराक्रम से कांपे देव तमाम।
बढ़ा क्रोध में अपना मुंह खोल कर। गर्ज कर भयानक शब्द बोल कर
लगा कहने कच्चा चबा जाऊंगा , निशां आज तेरा मिटा जाऊंगा।
क्या सन्मुख मेरे तेरी औकात है। तरस करता हूं नारी की जात है।
मगर तूने सेना मिटाई मेरी। अग्न क्रोध तूने बढ़ाई मेरी।
मेरे हाथों से बचने न पाओगी। मेरे पांवो के नीचे पिस जाओगी।
यह कहता हुआ दैत्य आगे बढ़ा । भवानी को यह देख गुस्सा चढ़ा ।
चलाया वो त्रिशूल ललकार कर। गिरा कट के सिर दैत्य का धरती पर।
किया दुष्ट असुरों का मां ने संहार । सभी देवताओं ने किया जय जय कार ।
खुशी से वे गन्धर्व गाने लगे। नृत्य करके मां को रिझाने लगे।
‘चमन’ चरणों में सिर झुकाते रहें। वे वरदान मैग्या से पाते रहें।
यही पाठ है दसवें अध्याय का । जो प्रीति से पढ़ श्रद्धा से गाएगा।
वह जगदम्बे की भक्ति पा जाएगा।शरण में जो मैय्या की आ जाएगा।
दोहा : आध भवानी की कृपा, मनो कामना पाए। ‘चमन’ जो दुर्गा पाठ को पढ़े सुने और गाए।
कलिकाल विक्राल में जो चाहो कल्याण। आद्य शक्ति जगजननी का करो प्रेम से ध्यान।
श्री दुर्गा स्तुति का करो पाठ ‘चमन’ दिन रैन। कृपा से आद भवानी की मिलेगा सच्चा चैन।
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
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- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
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