jaimaa
दसवां अध्याय
दसवां अध्याय – हर प्रकार की मनोकामना के लिए दसवां अध्याय दोहाः ऋषिराज कहने लगे- मारा गया निशुम्भ क्रोध भरा अभिमान ,से बोला भाई शुम्भ। अरी चतुर दुर्गा तुझे लाज जरा न आए। करती है अभिमान तू बल औरों का पाए। जगदाती बोली तभी दुष्ट तेरा अभिमान ।मेरी शक्ति को भला सके कहां पहचान। मेरा … Read more
नवम् अध्याय
नवम् अध्याय – पाठ मात्र से ही मिटे भीष्ण कष्ट अपार नवम् अध्याय राजा बोला ऐ ऋषि महिमा सुनी अपार। रक्तबीज को युद्ध में चण्डी दिया सहार। कहो ऋषिवर अब मुझे शुम्भ निशुम्भ का हाल। जगदम्बे के हाथों से आया कैसे काल । ऋषिराज कहने लगे राजन सुन मन लाय। दुर्गा पाठ का कहता हूं … Read more
आठवां अध्याय
आठवां अध्याय – निस दिन पढ़े जो प्रेम से शत्रु नाश हो जाय आठवां अध्याय दोहा:- काली ने जब कर दिया चण्ड मुण्ड का नाश । सुनकर सेना का मरण हुआ निशुम्भ उदास । तभी क्रोध करके बढ़ा आप आगे। इक्ट्ठे किए दैत्य जो रण से भागे। कुलों की कुलें असुरों की ली बुलाई। दिया … Read more
सातवां अध्याय
सातवां अध्याय – दुर्गा स्तुति का हर कामना पूरी करने के लिए सातवां अध्याय चण्ड मुंड चतुरंगणी सेना को ले साथ । अस्त्र शस्त्र ले देवी से चले करने दो हाथ। गये हिमालय पर जभी दर्शन सब ने पाए। सिंह चढ़ी मां अम्बिका खड़ी वहां मुस्कराए। लिये तीर तलवार दैत्य माता पे धाए । दुष्टों … Read more
छटा अध्याय
छटा अध्याय नव दुर्गा के पाठ का छठा है यह अध्याय ।जिसके पढ़ने सुनने से जीव मुक्त हो जाय। ऋषिराज कहने लगे सुन राजन मन लाय।दूत ने आकर शुम्भ को दिया हाल बतलाय। सुनकर सब वृतांत को हुआ क्रोध से लाल । धूम्रलोचन सेनापति बुला लिया तत्काल । आज्ञा दी उस असुर को सेना लेकर … Read more
पांचवा अध्याय
पांचवा अध्याय पांचवा अध्याय – भगवती का दर्शन पाने के लिए ऋषि राज कहने लगे, सुन राजन मन लाय। दुर्गा पाठ का कहता हूं, पांचवा मैं अध्याय । एक समय शुम्भ निशुम्भ दो हुए दैत्य बलवान। जिनके भय से कांपता था यह सारा जहान। इन्द्र आदि को जीत कर लिया सिंहासन छीन। खोकर ताज और … Read more
श्री दुर्गा स्तुति चौथा अध्याय
चौथा अध्याय – श्री दुर्गा स्तुति आदिशक्ति ने जब किया महिषासुर का नास। सभी देवता आ गये तब माता के पास। मुख प्रसन्न से माता के चरणों में सीस झुकाये। करने लगे – वह स्तुति मीठे बैन सुनायें। हम तेरे ही गुण गाते हैं, चरणों में सीस झुकाते है। तेरे जै कार मनाते हैं, जै … Read more
दुर्गा स्तुति तृतीय अध्याय
श्री दुर्गा स्तुति – तृतीय अध्याय चक्षुर ने निज सेना का सुना जभी संहार। क्रोधित होकर लड़ने को आप हुआ तैयार। ऋषि मेधा ने राजा से फिर कहा। सुनों तृतीय अध्याय की अब कथा । महा योद्धा चक्षुर था अभिमान में। गर्जता हुआ आया मैदान में। चलाता महा शक्ति पर तीर था। वह सेनापति असुरों … Read more
दुर्गा स्तुति दूसरा अध्याय
दूसरा अध्याय दुर्गा पाठ का दूसरा शुरु करूं अध्याय । जिसके सुनने पढ़ने से सब संकट मिट जाय। मेधा ऋषि बोले तभी, सुन राजन धर ध्यान । भगवती देवी की कथा करे सब का कल्याण । देव असुर भयो युद्ध अपारा, महिषासुर दैतन सरदारा। योद्धा बली इन्द्र से भिडयो, लड़यो वर्ष शतरणते न फिरयों । … Read more