Bageshwar Dham – Shri Dhirendra Krishna Shastri Biography

Shri Dhirendra Krishna Shastri Biography

Bio/Wiki

पूरा नामश्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री गर्ग
अन्य नामबागेश्वर धाम सरकार
बागेश्वर धाम महाराज
बागेश्वर बाबा
श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री
व्यवसायकथावाचक
जन्म तिथि4 जुलाई 1996 ,वीरवार
नागरिकताभारतीय
जन्म स्थानगाड़ा गाँव , छतरपुर जिला , मध्य प्रदेश
पिता का नामरामकृपाल गर्ग
माता का नामसरोज गर्ग
भाई का नामशालिग्राम गर्ग , सौरव गर्ग
दादा का नामसेतु लाल पंडित भगवान दास गर्ग
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
नेट वर्थ3.5 लाख
शिक्षा12वीं

Bageshwar Dham Sarkar || बागेश्वर धाम सरकार

बागेश्वर धाम भारत में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस स्थान के प्रमुख महाराजा श्री श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी हैं। जय बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध है। यह भागवत महापुराण के बहुत अच्छे वक्ता है। इनकी खास बात यह है कि यह लोगों के बारे में बिना कुछ कहे कि उनके दिल की बात जान जाते हैं और समस्याओं का समाधान के बारे में भी लोगों को बताते हैं।

जय सनातन धर्म को मानने वाले हैं इसीलिए उनका विशाल रूप से प्रसार करते हैं। श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का यह मानना है कि बालाजी की उन पर अत्यंत कृपा है और बालाजी ही उ उन्हें लोगों के विचारों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर रहे हैं।

श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री जी का जीवन परिचय or Shri Dhirendra Krishna Shastri Biography

श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को गड़ागंज के गांव में हुआ था और इनका पूरा नाम श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री गर्ग है। गाड़ागंज छतरपुर के समीप ही स्थित है वहां पर आज भी उनका समस्त परिवार रह रहा है। गाड़ागंज में ही बागेश्वर धाम का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं।

गाड़ागंज में ही उनका पुश्तैनी घर है। श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री जी के गुरु उनके दादा सेतु लाल पंडित भगवान दास गर्ग थे। इनके दादा जी ने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की थी। दीक्षा लेने के बाद गढ़ा गांव आ गए थे और वहां पर उन्होंने श्री बागेश्वर धाम मंदिर का नवीकरण किया था। श्री धीरेंद्र शास्त्री जी के दादा जी का जी ने इसी को ही अपना सन्यासी आश्रम बनाया था और यहीं पर उन्होंने दरबार लगाना शुरू किया था।

9 साल की उम्र में ही श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने अपने पिताजी और अपने दादाजी के साथ धार्मिक आयोजनों में जाना शुरू कर दिया था। इनके दादा जी बहुत अच्छे कथावाचक भी थे।अपने दादाजी से इन्होंने धार्मिक शिक्षा ग्रहण की है इसीलिए यह अपने दादा जी को ही अपना गुरु मानते हैं

श्री धीरेद्र शास्त्री जी महाराज अपने पुश्तैनी घर जोकि गाढ़ागंज में माता-पिता और दो छोटे भाई और एक बहन के साथ रहते हैं। इनके पिता का नाम रामकृपाल गर्ग था और माता का नाम सरोज गर्ग है।

इनके एक भाई का नाम शालिग्राम गर्ग है और दूसरे का सौरव गर्ग है जो धीरेंद्र शास्त्री जी से छोटे हैं। ये भी बालाजी बागेश्वर धाम सरकार को समर्पित है। इनके पिताजी नशे के आदी थे और काम कम ही करते थे। घर का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से होता था। इस कारण इनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा जिस से इनकी स्थिति अत्यंत दयानीय हो गई थी।

एक बार तीन-चार दिन तक इन्हें और इनके परिवार को खाना नहीं मिला जिस कारण इन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था।

कई कई दिन यह भूखे ही रहते इनकी मां बहुत मुश्किल से एक घर चलाती थी इनके रहने के लिए भी मकान कच्चा था बारिश जब भी होती थी तो पानी की बूंदे छत से टपकने लगती थी।

श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री जी की शिक्षा

श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के ही शिक्षा सरकारी स्कूल से ही प्राप्त की है। अपने गांव के ही स्कूल से उन्होंने आठवीं तक पढ़ा है। उसके बाद की शिक्षा पढ़ने के लिए 5 किलोमीटर दूर स्थित एक स्कूल में पैदल चलकर जाते थे। उनके ऊपर अपने परिवार की भी जिम्मेवारी थी इस कारण वे लोगों के घरों में जाकर भिक्षा भी मांगते थे । और अपना घर मुश्किल से चलाते थे।

बागेश्वर धाम कहाँ पर है?

श्री बागेश्वर धाम छतरपुर जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर गड़ा गांव में स्थित है। यह हनुमान जी का मंदिर लगभग 300 साल पुराना है। मान्यता हैं कि यहां पर यदि कोई भी श्रद्धालु अपनी पुकार या समस्या को लेकर आता है तो उसको हनुमान जी के आशीर्वाद से उसे उसकी समस्या के समाधान का हल मिल जाता है। और उन पर बालाजी के भक्तों की कृपा बरसती है। बागेश्वर धाम को तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता है कहते हैं कि यहां पर बालाजी महाराज जी के जो भी दर्शन मात्र ही करने आता है उसको बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है

बागेश्वर धाम में बालाजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग भारत देश के कई राज्यों से तो आ ही रहे हैं साथ-साथ विदेशों से भी लोग यहां पर आ रहे हैं।

बागेश्वर धाम में कितना पैसा लगता है

टोकन यहां पर बिल्कुल फ्री है। यहां पर जाने की कोई फीस नहीं है। सिर्फ एक अर्जी लगानी पड़ती है।

बागेश्वर धाम की अर्जी घर पर कैसे लगाएं?

घर बैठे अर्जी लगाने के लिए बागेश्वर धाम को ध्यान में रखकर एक लाल कपड़ा और नारियल लेना है फिर एक कागज पर अर्जी को बांधकर ऊँ बागेश्वराय नमः का जाप पूरी एक माला तक करना है। इस नारियल को अपने पूजा घर वाले स्थान में रखना है। लहसुन और प्याज थोड़े दिनों के लिए छोड़ना है जब तक अर्जी स्वीकार नहीं हो जाती ब्रह्मचर्य का पालन करना है।

बागेश्वर धाम कैसे पहुंचे ?

बागेश्वर धाम सड़क मार्ग के जरिए या ट्रेन के द्वारा या हवाई मार्ग के द्वारा पहुंचा जा सकता है बागेश्वर धाम की दूरी भोपाल से 365 किलोमीटर है यदि आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो सबसे पहले छतरपुर या खुजराहो रेलवे स्टेशन पर पहुंचना है।

इस रेलवे स्टेशन से आपको कोई टैक्सी,ऑटो रिक्शा या बस आसानी से मिल जाएंगे छतरपुर रेलवे स्टेशन से बागेश्वर धाम 25 किलोमीटर की दूरी पर है।

दिल्ली से बागेश्वर धाम लगभग 444 किलोमीटर की दूरी पर है। आप अपनी निजी गाड़ी या बस से भी बागेश्वर धाम दर्शन के लिए जा सकते हैं।

सुबह 8:00 बजे से पहले आप गाड़ी को मंदिर के पीछे तक लेकर जा सकते हैं 8:00 बजे के बाद बागेश्वर धाम पहुंचने से 2 किलोमीटर पहले ही गाड़ियां बस को भीड़ होने के कारण रोका जाता है। इसलिए 2 किलोमीटर की यात्रा आपको पैदल ही करनी पड़ेगी क्योंकि यहां रिक्शा या टेंपो मिलना मुश्किल होता है।

बागेश्वर धाम जाने का खर्चा कितना है?

ट्रेन से छतरपुर का किराया 1000 से कम ही है। दिल्ली से स्लीपर क्लास क्लास का किराया ₹320 थर्ड एसी का किराया ₹800। यदि इंदौर या भोपाल से छतरपुर के लिए जाना चाहो तो भी हजार पैसे कम ही लगेगा।

बागेश्वर धाम सरकार का दरबार कौन से दिन लगता है?

बागेश्वर धाम सरकार का दरबार मंगलवार और शनिवार के दिन लगता है। इस दिन बहुत से लोग अर्जी लगाने दरबार में आते हैं। एक लाल कपड़े में बांधकर नारियल के साथ अभी लगाते हैं और अभी की पर्ची निकलने पर बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी फिर भक्तों से समस्या पूछते हैं और फिर इसका समाधान करते हैं वैसे तो लोग घर बैठे भी बागेश्वर धाम में अर्जी लगा सकते हैं। दर्शन करने का कोई खर्चा नहीं होता है।

श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री जी के वचन || Shri Dhirendra Krishna Shastri quotes

  1. जो सच्चाई को हमेशा बनाता है जिसका सत्य कभी नहीं बदलता उसी का नाम सनातन है। सत्य सिर्फ ईश्वर है सत्य का मार्ग दिखाने वाले को धर्म शाश्वत कहते हैं जो शुरू से हैं वह सत्य है।
  2. श्री भगवान् के आश्रय बिना सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्यादि सद्गुण वैसे ही नहीं ठहर सकते, जैसे बिना प्राणों के शरीर की इन्द्रियाँ। भगवान का आश्रय न होने पर सद्गुणों से मनुष्यके मन में अभिमान उत्पन्न होता है।
  3. अभिमान मनुष्य को अपने दोष देखने का अवसर ही नहीं आने देता, वह निरन्तर उसे अंधा बनाये रखता है, जिससे मनुष्य अपनी तनिक-सी भी सच्ची समालोचना, जो उसके लिये परम हितकर होती है, नहीं सह सकता; एवं इसलिये सहज ही दोषों का घर बन जाता है।
  4. जो अपने अपराधों को छिपाता है और दूसरों पर सहस्रों नये-नये दोष मढ़ने का प्रयत्न करता है वो बड़ा ही अभागा है। उसमें कभी सद्गुण आ ही नहीं सकते। सद्गुणों को लाना और उन्हें स्थायी रूप से अपने अन्दर बसाना हो तो समस्त सद्गुणों के समुद्र भगवान को हृदय में बसा लो ।

श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • श्री धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री जी भारत के कथा वाचक संत के रूप में जाने जाते हैं। बागेश्वर धाम के प्रमुख सरकार रूप में प्रसिद्ध है।
  • बचपन में इनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसीलिए यह स्कूल 5 किलोमीटर दूरी तक पैदल चल कर जाते थे।
  • इनके दादा जी एक प्रतिष्ठित कथावाचक थे। उस गांव में एक छोटा सा शिवजी जी का मंदिर था इनके दादा जी को प्रेरणा हुई कि यहां पर पास में एक बालाजी का भी मंदिर होना चाहिए और कुछ सालों बाद यह मंदिर बागेश्वर धाम से प्रसिद्ध हुआ
  • जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी 9 साल के थे तो उन्होंने अपने दादा जी और पिताजी के साथ कई धार्मिक आयोजनों में जाना शुरू कर दिया था। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कथावाचक निर्णय बनने का निर्णय लिया। फिर उनको स्वपन आया कि उन्हें अज्ञात वास लेना चाहिए। यही स्वपन उनको दो-तीन बार आया फिर उन्होंने यह बात अपने परिवार वालों वालों को बताई। उनके दादा जी ने उनको साधना करने के लिए कहा और यह कहा कि यह भगवान की ओर से तुम्हें संदेशा है कि तुम अज्ञातवास में साधना करो ।
  • धीरेंद्र शास्त्री जी महाराज जी ने धर्म साधना वंश गुरु सतगुरु सन्यासी बाबा जी और जगदगुरू रामभद्राचार्य जी महाराज की जी के अंतर्गत की।
  • 2009 में इन्होंने साधना पूरी करने के बाद श्रीमद् भागवत कथा पहली बार अपने गांव में की ।धीरे-धीरे इनकी प्रसिद्धि होने लगी। यह अपने पिता और दादा जी के साथ कथा करने लगे।
  • उस गांव की लोकल मीडिया ने बागेश्वर धाम मंदिर की कथा को प्रमोट किया। फिर धीरे-धीरे इनकी कथा चैनलों पर आने लगी। कथा चैनलों पर आने से ज्यादा से ज्यादा इनको प्रसिद्धि मिलने लगी
  • एक बार एक इंटरव्यू के दौरान इनके एक भक्त ने यह शेयर किया कि कैसे श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी उनकी समस्याओं को एक पेपर पर लिख लेते हैं बिना किसी के बताएं। उसने आगे यह भी सांझा किया कि कैसे वह नकारात्मक शक्तियों को खत्म करके उनकी समस्याओं का समाधान करते है हैं।
  • धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने घर वापसी इवेंट का भी आयोजन किया जिसमें उन्होंने उनका खास मकसद उन लोगों को रोकना था जो अपने हिंदू धर्म और सनातन धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म में जा रहे हैं।
  • धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी सामाजिक सेवाओं में भी शामिल है ।जैसे उन्होंने बागेश्वर धाम में अन्नपूर्णा किचन की शुरुआत की उसमें यह सभी लोगों को मुफ्त में खाना देते हैं। जय जानवरों के कल्याण और जरूरतमंद लोगों के लिए भी काम करते हैं।
  • एक बार उनको किसी भक्तों ने बाबा नाम से संबोधित किया तो तब उन्होंने कहा ना ही मैं सन्यासी हूं और ना ही मैं बाबा हूं मैं सिर्फ और सिर्फ कथावाचक हूं
  • सोशल मीडिया पर इनकी बहुत सारी फैन फॉलोइंग है करीब 4500000 लगभग ।

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