मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास Mehandipur Balaji History

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर – मेहंदीपुर बालाजी के नाम से प्रसिद्ध भगवान हनुमान जी का यह मंदिर है। यह मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के दौसा जिले में है। इस मंदिर में भगवान हनुमान बालाजी के रूप में विराजमान है। भगवान हनुमान जी का बचपन का नाम बालाजी है।

यह मंदिर अपनी चमत्कारी शक्तियों और सिद्धियों के कारण प्रसिद्ध है। वैसे तो कई स्थानों में बालाजी के कई मंदिर है परंतु यह मंदिर मेहंदीपुर बालाजी का जी का एक विशेष मंदिर है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

बालाजी की मूर्ति की छाती के बाएं तरफ एक छोटे छेद से हमेशा पानी की एक पतली धारा बहती रहती है। इस जल को एक लोटे में इकट्ठा करके भगवान बाला जी के चरणों में रखने के बाद लोगों में बांट दिया जाता है जिससे सभी लोग इसे चरणामृत मानकर लेते हैं।

इस मंदिर का इतिहास लगभग हजार(1000) साल पुराना है। कहते हैं कि एक बार मंदिर के एक महंत जो घंटे वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध है उनको सपना आया था सपने में उन्होंने 3 देवताओं के दर्शन किए थे और उनको उन 3 देवताओं से मंदिर निर्माण के उपदेश मिले थे।

बालाजी के मंदिर का पहले उस जगह पर जंगली जानवर और पेड़ थे फिर एक दिन अचानक वहां पर भगवान प्रकट हुए और उन्होंने महंत जी को कहा कि वह सेवा करके अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। वहां पर फिर आरती पूजा शुरू की गई और धीरे-धीरे तीनों देवताओं को वहां पर स्थापित कर दिया गया।

यह मंदिर दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति वाला सबसे शक्तिशाली माना जाता है।

यह भारत के उत्तरी हिस्से का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर के महंत बड़ी श्रद्धा और नियमों से इस मंदिर की देखभाल करते हैं।

इस मंदिर के वर्तमान महंत श्री किशोर पुरी जी हैं जो धार्मिक नियमों का पालन पूरी शिद्दत से करते हैं। पहले यहां के महंत गणेशपुरी जी थे। इस मंदिर में शनिवार और मंगलवार को बोल लगाए जाते हैं और विशेष रूप से पूजा की जाती है।

दुष्ट आत्माओं के प्रकोप से बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति बालाजी को प्रसाद के रूप में अर्जी ,बूंदी के लड्डू इत्यादि चढ़ाते हैं ताकि जो बुरी आत्मा है वह शांत हो सके।

मेहंदीपुर बालाजी के आसपास के मंदिर

इस मंदिर के सामने सियाराम मंदिर भी स्थित है जो बहुत ही भव्य विशाल और सुंदर है। यहां हर समय हरे राम का कीर्तन होता रहता है।

इसके पास ही एक और मंदिर है समाधि स्थल। बालाजी मंदिर और समाधि स्थल में दुष्ट आत्मा से घिरे लोग ज्यादा आते हैं।

इस मंदिर के पास एक और मंदिर है तीन पहाड़ प्राचीन मंदिर- इस पहाड़ी के रास्ते में बहुत सारे छोटे-मोटे मंदिर और दुकाने आती हैं। डेढ़ घंटे के आसपास इस मंदिर के आने जाने का रस्ता है। इस मंदिर में पहाड़ी पर चढ़कर जाना होता है जो जिससे थोड़ा समय लगता है। पहाड़ी पर चढ़कर सारा मेहंदीपुर गांव दिखाई देने लगता है। सारे गांव के बीच में एक बड़ी सी मूर्ति 150 फीट श्री हनुमान जी की है।

मेहंदीपुर में सबसे ऊंचाई पर जो मंदिर है शक्तिपीठ काल भैरव मंदिर है

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के स्थानीय लोगों की आस्था

राजस्थान में स्थित इस मंदिर के स्थानीय लोग इस मंदिर में बहुत ही आस्था रखते हैं ।वह प्रतिदिन मंदिर बालाजी के दर्शन करने के लिए जाते हैं। यदि किसी को कोई कष्ट या समस्या होती है तो वहां के लोग मंदिर में जो महंत बैठे हुए होते हैं उनको अपनी समस्या या कष्ट बता देते हैं।

फिर वहां के महंत उनको दवा देकर उनका इलाज करते हैं और उनकी समस्या का समाधान करने की भी कोशिश करते हैं। वहां के रहने वाले लोगों का बालाजी में अटूट विश्वास है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के चार प्रांगण

मंदिर में चार प्रांगण बनाए गए हैं। पहले प्रांगण में भैरव बाबा दूसरे प्रांगण में बालाजी की मूर्ति तीसरे और चौथे प्रांगण में दुष्ट आत्माओं के सरदार प्रेतराज जी। जो लोग भूत प्रेत और दुष्ट आत्माओं से परेशान है वह लोग यहां आकर पूजा करते हैं। इस मंदिर की कलाकृति सब को अपनी और आकर्षित करती है।

यहां पर सबसे ज्यादा भक्त शनिवार रविवार और पूर्णिमा को आते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर कहां स्थित है

यह मंदिर राजस्थान के इंदौर शहर के करौली जिले के टोडाभीम में है। इस मंदिर के प्रसिद्ध होने का एक कारण यह भी है कि यह 2 जिलों के बीच में आता है इसका आधा भाग करोली और आधा भाग दूसरा में है

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूरी पर है। मेहंदीपुर में माता अंजनी का बहुत सुंदर वाइट संगमरमर का मंदिर है।

मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर की अन्य बातें

मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर के वहां का खाना पीना

वहां पर खाने पीने की चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। चाय या कुछ भी साथ में नमकीन आसानी से खाने के लिए मिल जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी से जुड़ी रस्में

इस मंदिर के लोगों की आस्था है कि यदि यहां के व भोग और प्रसाद खाएं तो हमारे जीवन के सारे दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मंदिर में जो भी दान करते हैं वह सारी चीजों से गरीब बेसहारा लोगों की सेवा में लगाई जाती है गरी

वहां के लोगों की धारणा है कि इस मंदिर से मिलने वाले पत्थर से जोड़ों का दर्द सीने की तकलीफ या कोई भी शारीरिक तकलीफ हो वह दूर होती है। यह पत्थर कई रोगों के इलाज में काम आता है । अपितु साइंस में इस बात को नकारा है और उनका मानना है कि यह सिर्फ वहां के लोगों का विश्वास है।

मेहंदीपुर बाला जी के मंदिर का दृश्य

भक्तजन जो भी लड्डू या प्रसाद लेते हैं वह मंदिर में प्रवेश करते ही उसे चढ़ाते हैं। अंदर जाते ही यह दृश्य देखने को मिलता है कि कई लोग जो जोर से चिल्लाने लगते हैं।

कई तेजी तेजी से हनुमान चालीसा का पाठ शुरू करने लगते हैं ,तो कई जोर से जय सियाराम के जयकारे लगाने लगते हैं ,कई लोग चिल्ला चिल्ला रहे होते हैं तो कई जोर-जोर से अपना सिर घुमा रहे होते हैं ,सभी भजन गा रहे हैं ,कई दीवार पर सिर को मार रहे हैं । इस तरह के कई सारे भयावह दृश्य दिखाई देते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने का अच्छा समय कौन सा है

इस मंदिर में कई त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाएं जाते हैं जैसे की होली,हनुमान जयंती,दशहरा। त्यौहारों के समय में इस पवित्र जगह को देखना बहुत अच्छा होता है ।

होली वाले दिन यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है । यहां पर जाने और दर्शन का समय गर्मियों में शाम के 9:00 बजे और सर्दियों में शाम के 8:00 बजे सही माना जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में वर्जित कार्य कौन से हैं

इस मंदिर मैं बोल कर भी इन कामों को नहीं करना क्योंकि यह सख्त रूप से वर्जित कार्य हैं जो इस प्रकार हैं-

  1. मंदिर से बाहर निकलते वक्त कभी पीछे मंदिर की तरफ मुड़कर नहीं देखना चाहिए।
  2. मंदिर में और मंदिर के आसपास किसी से कोई बात नहीं करनी चाहिए और ना ही किसी को छूना चाहिए।
  3. मंदिर से घर जाते वक्त ना तो वहां का प्रसाद और ना ही वहां से कुछ खाने वाला सम्मान लेकर जाना चाहिए।
  4. मंदिर के गांव से निकलते समय सारे खाने पीने वाले जो भी पैकेट बोतल आदि है उसको वहीं पर छोड़ कर बाहर जाना चाहिए

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से हमें क्या शिक्षा मिलती है

वहां जाने के बाद हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि जितना हो सके हमें सकारात्मक चीजों से जुड़ना चाहिए और जो नकारात्मक है उसको वहीं छोड़ कर आ जाना चाहिए ताकि हम अपनी जिंदगी सकारात्मक चीजों से जोड़कर खुशी-खुशी जी सकें।

हमें भगवान ने बुद्धि दी है उसका हमें सदुपयोग करना चाहिए और अपने को सतमार्ग पर लगाना चाहिए ताकि हमारे अंदर दूसरों के प्रति हमदर्दी होनी चाहिए। ना कि गुस्सा हो द्वेष हो ईर्ष्या हो इन सभी चीजों को हमें छोड़ देना चाहिए।

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