दुर्गा सप्तशती चौथा अध्याय |Durga Saptashati Chautha adhyay

दुर्गा सप्तशती चौथा अध्याय महर्षि बोले–उस दुष्टात्मा, परम बलशाली महिषासुर और उसकी सेना को देवी ने मार डाला। तब समस्त इन्द्रा- दिक देवगण प्रसन्न हो सिर, और मस्तक झुकाकर भगवती की स्तुति करने लगे। जिन भगवती की ही शक्ति से यह सम्पूर्ण विश्व उत्पन्न हुआ है और जिनकी समस्त देवता और महर्षिगण पूजा करते हैं, … Read more

दुर्गा सप्तशती तीसरा अध्याय | Durga Saptashati Teesra adhyay

दुर्गा सप्तशती तीसरा अध्याय ऋषि बोले ! अमर सेनापति चिक्षुर अपनी सेना का संहार होते हुए देख क्रोधित होकर जगदम्बिका से युद्ध करने के लिए गया । वह असुर युद्ध में भगवती के ऊपर इस प्रकार बाणों की वर्षा करने लगा मानो सुमेर पर्वत पर मेघ जल बरसाता हो । तत्पश्चात देवी ने उसके बाणों … Read more

दुर्गा सप्तशती दूसरा अध्याय | Durga Saptashati Dusra adhyay

दुर्गा सप्तशती दूसरा अध्याय ऋषि ने कहा — पूर्व काल में देवताओं और असुरों में पूरे सौ वर्षों तक भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में असुरों ने देवताओं को हरा दिया और सब देवताओं को जीत कर महिषासुर स्वयं इन्द्र बन बैठा। तब हारे हुए देवता ब्रह्माजी को आगे कर भगवान विष्णु और शंकर जी … Read more

दुर्गा सप्तशती दूसरा अध्याय

दुर्गा स्तुति

दुर्गा सप्तशती दूसरा अध्याय ऋषि ने कहा — पूर्व काल में देवताओं और असुरों में पूरे सौ वर्षों तक भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में असुरों ने देवताओं को हरा दिया और सब देवताओं को जीत कर महिषासुर स्वयं इन्द्र बन बैठा। तब हारे हुए देवता ब्रह्माजी को आगे कर भगवान विष्णु और शंकर जी … Read more

दुर्गा सप्तशती पहला अध्याय

दुर्गा सप्तशती पहला अध्याय श्री मार्कण्डेय जी बोले-मैं भगवान सूर्य के पुत्र सावर्णि के उत्पत्ति की कथा विस्तार से कहता हूँ, आप ध्यान से सुनिए । सूर्य की छाया स्त्री से उत्पन्न सावर्णि जगत जननी महामाया की कृपा से जैसे-जैसे मन्वंतर का अधिपति बना वह कथा सुनिए । पूर्वकाल में स्वारोचिश मन्वंतर के चैत्र वंशी … Read more

अथ कीलक स्तोत्र – दुर्गा सप्तशती

अथ कीलक स्तोत्र श्री मार्कण्डेय ऋषि बोले-मैं उन भगवान सदाशिव को नमस्कार करता हूँ, जिनके तीन दिव्य नेत्र हैं, जिनका शरीर विशुद्ध ज्ञान स्वरूप है, जो मोक्ष प्राप्ति के कारण है अर्द्ध चन्द्रमा जिनके मस्तक पर शोभायमान है । मन्त्रों के शाप एवं उत्कीलन आदि को समझ कर पाठ करने वाला पुरुष मोक्ष पा लेता … Read more

श्री अर्गला स्तोत्र – दुर्गा सप्तशती

श्री अर्गला स्तोत्र प्रारम्भ श्रीमार्कण्डेयजी बोले-जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालनी, दुर्गा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा आदि देवियों को मेरा नमस्कार हो । हे चामुण्डे देवी! समस्त प्राणियों के दुःख निवारण करने वाली आपकी जय हो। हे सर्व व्यापक देवी कालरात्री ! आपकी जय हो । मधु तथा कैटभ दैत्यों का दलन करने वाली, ब्रह्माजी को … Read more

श्री दुर्गा कवच – श्री दुर्गा सप्तशती

श्री दुर्गा कवच ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ मार्कण्डेय ऋषि बोले-हे पितामह ! आप हमें कोई ऐसा परम गुप्त साधन बताइये जिसके द्वारा मनुष्यों की सभी प्रकार से रक्षा हो और जो अभी तक आपने किसी को बताया भी न हो। ब्रह्मा जी बोले- हे विप्रवर ! इस प्रकार का साधन तो परम पवित्र एवं परम गुप्त … Read more

श्री दुर्गा पूजा पाठ विधि | दुर्गा सप्तशती

श्री दुर्गा पूजा पाठ विधि तथा पूजा-सामग्री श्री दुर्गा जी की पूजा विशेष रूप से वर्ष में दो बार नवरात्रों में की जाती है। आश्विन शुक्ला प्रतिपदा को जो नवरात्र प्रारम्भ होते हैं, उन्हें शारदीय नवरात्र कहते हैं । चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से आरम्भ होने वाले नवरात्र वार्षिक कहलाते हैं । माँ दुर्गा के भक्त … Read more