मातेश्वरी तू धन्य है

(धूमलोचन ,चण्ड मुण्ड, बीज वध वर्णन) धूमलोचन दैत्य अरु, वीर चण्ड अरु मुण्ड। रक्तबीज वध की कथा, थे जो शक्ति कुण्ड।। सभी देवता हिमाचल पर जगत् की जननी श्रीपार्वतीजी के पास पहुंचे मातेश्वरी तू धन्य है – ऋषि बोले-शुंभ निशुंभ नाम के दो दैत्य परम पराक्रमी हुए। जिनके तेज से चराचर त्रिलोकी काँप उठी, दोनों … Read more

सरस्वती देवी का प्रकट होना

शुम्भ निशुम्भ दानव बली तत्सम दौहृद मौर्य। दर्पदलन गौरी भई , अनुपम जिसका शौर्य ।। महामाया का चरित्र सरस्वती देवी का प्रकट होना- राजा ने कहा-हे स्वामिन्! चण्ड मुण्ड, आदि के मर जाने पर शुम्भ, निशुम्भ ने फिर क्या किया। अब आप कृपा करके पाप विनाशिनी महामाया का चरित्र सुनाते जाइये। ऋषि बोले- चण्ड मुण्डादि … Read more

माँ शताक्षी,शाकम्भरी और दुर्गा का अवतार

माँ शताक्षी,शाकम्भरी और दुर्गा  दुर्गम दानव हनन ते, दुर्गा नाम लह्यो । विनय सुनी जग जन्म ले, देवन अभय दयो।। दुर्गम का ब्रम्हा जी से वर पाना देवताओं का महादेवी की शरण में जाना प्रजा के इस संकट को देखकर देवता महादेवी की शरण में पहुँचे और बोले, हे महादुर्गे! जिस प्रकार आपने शुम्भ निशुम्भ … Read more

माँ उमा की उत्पत्ति

देव दर्प के दलन को प्रकटी तेज स्वरूप।  दुष्ट जनन को मृत्यु हैं, भक्तों को माँ रूप।। माँ उमा की उत्पत्ति – सूतजी बोले-हे ऋषिगण! सुनिये एक बार देवता दैत्यों का भयानक युद्ध हुआ। तब इसी मातेश्वरी के प्रताप से देवता विजयी हुए। इस कारण देवताओं को गर्व हुआ, अपनी-अपनी प्रशंसा करने लगे। एक तेज … Read more

माँ काली कैसे प्रकट हुई ?

मधु-कैटभ वध की कथा उमा चरित सुजान। निल नित करती स्नेह व मानव का कल्याण ।। राजा सुरथ जो कि वीर पुरुष था माँ काली – सूतजी बोले-हे महात्मा पुरुषो! अब में काली चरित्र कहता हूँ तुम लोग धन्य हो जो उमा चरित्र को सुनना चाहते हो । स्वारोचिष नाम के मन्वन्तर में एक राजा … Read more

माँ लक्ष्मी अवतार

महिषासुर दानव भया शक्तिमान परचंड। जाके दुर्गा ने करे अंग-अंग सब खंड।। माँ लक्ष्मी अवतार कैसे हुआ? महिषासुर नामक दैत्य माँ लक्ष्मी अवतार-दैत्यों के कुल में रम्भासुर नाम का एक श्रेष्ठ दैत्य हुआ था। महिषासुर नामक महापराक्रमी उसका पुत्र हुआ। वह युद्ध में सभी देवताओं को जीतकर इन्द्र के सिंहासन पर बैठकर स्वर्ग का राज्य … Read more

माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री का अर्थ माँ शैलपुत्री का अर्थ-अचल पर्वत-अचल पर्वत की तरह-माँ की करुणा की ममता अपने बच्चों पर अचल और स्थिर है क्यूंकि यह शैलपुत्री है-पुत्र कुपुत्र हो सकता है माता कुमाता नहीं होती l वर्षा ऋतु में वर्णन आया है की आकाश से बूंदे गिरती है तो पर्वत ऐसे सहन करता है जैसे … Read more

माँ का प्राकट्य

माँ की महिमा तो जितनी गाए उतनी कम है हममें इतनी शक्ति नहीं की हम उसकी लीला का गायन कर सके। माँ का प्राकट्य के बारे में जो भी यहाँ बताया जा रहा है यह सब उसकी शक्ति द्वारा ही जो असल में हुआ है वही लीला के बारे में बताया गया है क्यूंकि हममे … Read more