पच्चीसवाँ अध्याय माघ महात्म्य
पच्चीसवाँ अध्याय माघ महात्म्य लोमश जी बोले- हे ब्राह्मण! इस पिशाच के इस करुण क्रन्दन को देवद्युति ने उपासना करते समय सुना। वे बैठे न रह सके और तब वे इस आश्रम से निकलकर उस पिशाच के सम्मुख गये। भयानक आकार और क्रूर आकृति वाले पिशाच को इस प्रकार दहाड़ मारकर रोते देखा। इसके गाल … Read more