Radhe Krishna status or shayari in hindi

Radhe Krishna status

[ श्रीकृष्णके प्रति ]

सदा सोचती रहती हूँ मैं, क्या दूँ तुमको, जीवनधन! जो धन देना तुम्हें चाहती, तुम ही हो वह मेरा धन ॥

तुम ही मेरे प्राणप्रिय हो, प्रियतम! सदा तुम्हारी मैं । वस्तु तुम्हारी तुमको देते पल-पल हूँ बलिहारी मैं ।

प्यारे ! तुम्हें सुनाऊँ कैसे अपने मनकी सहित विवेक ।अन्योंके अनेक, पर मेरे तो तुम ही हो, प्रियतम! एक ॥

मेरे सभी साधनों की, बस एकमात्र हो तुम ही सिद्धि । तुम ही प्राणनाथ हो, बस, तुम ही हो मेरी नित्य समृद्धि ॥

तन-धन-जनका बन्धन टूटा, छूटा भोग-मोक्षका रोग। धन्य हुई मैं, प्रियतम! पाकर एक तुम्हारा प्रिय संयोग ॥

राधा कृष्ण की अभिन्नता

राधा बिना अशोभन नित मैं रहता केवल कोरा कृष्ण । राधा संग सुशोभित होकर बन जाता हूँ मैं ‘श्री’ कृष्ण ॥

राधा मेरी परम आतमा, जीवन-प्राण नित्य आधार । राधा से मैं प्रेम प्राप्तकर, करता निज जनमें विस्तार ॥

मैं राधा हूँ, राधा मैं है, राधा-माधव नित्य अभिन्न । एक सदा ही बने सरस दो, करते लीला ललित विभिन्न ॥

राधा जी कृष्ण प्रेममयी है और श्री कृष्ण राधा प्रेमय में हैं ।

मंद हँसन मतवारे नैना, मनमोहन के प्यारे नैना ।।

श्रीराधा भव-बाधा हारी। संकट मोचन कृष्ण मुरारी ॥ एक शक्ति, एकहि आधारी। सब पर कृपा करे बनवारी।।

राधा राधा कृष्ण कन्हैया । भव भय सागर पार लगैया ॥

राधा मम प्राण,राधा मम ज्ञान ।राधा मम ध्यान, राधानाम सार ।प्रेममयी राधा राधा,अंगे आधा ।राधानाम साधा बाधा, नाहि तार ।

आमि दिवस रजनी, राधानाम ध्वनि ।करि,मात्र जानि,राधा मूलाधार ।

मधुर मधुर अति मधुर लगै, दोउ प्रीतम प्यारा । लगत रहत हिय में यह हरदम, कबहुँक होंहि न तुमते न्यारी ॥ देखत रहहिं हमारे नयना, युगल मूर्ति मन मोहनि वारी । चित्त चोरावनि छवि छहरावनि, रस वर्धनि रस ही रस वारी ॥ कंज खंज मृग मीन को मर्दहिं, लली लाल अँखियाँ कजरारी । मंद मंद मुसुकानि मधुरिमा, को न ठगै रस रूप निहारी ॥ अंग अंग छवि मदन मनोहर, सुख सुखमा श्रृंगार अपारी । ‘हर्षण’ हर्ष बढ़त मन मन्दिर, सुरति करत उर अजिर बिहारी ॥

किशोरी जू के चरण महासुखदाई । जिनहिं निरखि लाल भये प्रीतम, करति केलि मन भाई ॥

अजीब इश्क का दोनों तरफ असर फैला वह कह रही थी मैं ही मजनू हूं और मैं ही लैला।

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