Shri yamuna ji ki aarti ! आरती श्री यमुनाजी की
ओ३म जय यमुना माता , हरि ओ३म् जय यमुना माता ।
जो नहावे फल पावे, सुख की दाता ॥ ओ३म० ।।
श्री यमुना जल शीतल अगम बहे धारा ।
जा धन शरण से कर दिया निस्तारा ॥ ओ३म्॥
जो जन प्रात ही उठकर नित्य स्नान करे।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे ॥ ओ३म् ॥
कलि काल में महिमा तुम्हरी अटल रही ।
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही ॥ ओ३म् ॥
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो ।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो ॥ ओ३म् ॥
नमो मात ‘ भयहरणी शुभ मंगल करणी ।
मन बेचैन भया है तुम बिन वैतरणी ॥ ओ३म् ॥