triveni ji ki aarti ! आरती श्री त्रिवेणी जी की
ओं जय श्री त्रिवेणी ओं जय मां त्रिवेणी ।
तीरथराज प्रयाग प्रकाशनि सबको सुख देनी ॥
ओं गंगा जमुना प्रगट बहत मिलि, धन्य दोउ बहैनी ।
धारा गुप्त सरस्वती, सुगम स्वर्ग नसैनी ॥ १ ॥
अन्तरवेद शास्त्र शुचि महिमा, सत्य काल धैनी।
पाप काटने भक्त भगवती, हो पैनी छैनी ॥ २ ॥
छवि सुन्दर साक्षात् ब्रह्ममय, रत्न राशि बैनी ।
नीर अलौकिक पवन सुधामय, रुचिर मधुर फैनी ॥ ३ ॥
यज्ञ दान तप सुमन अक्षयवट,सुख सम्पत्ति श्रेणी ।
विश्व सम्मेलन गोविन्द, अपार लाभ अपैनी ॥४॥
जय श्री त्रिवेणी ओं जय मां त्रिवेणी ।
रथराज प्रयाग प्रकाशनि सबको सुख देनी ॥५॥