दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो – राम भजन

भजन – दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो

करुणा के सिंधु मालिक, अपनी विरद बचा लो, दर पर तुम्हारें आया, ठुकराओ या उठा लो।।

मीरा या शबरी जैसा, पाया हृदय ना मैंने, जो है दिया तुम्हारा, लो अब इसे सम्भालो, दर पर तुम्हारें आया, ठुकराओ या उठा लो।।

दिन रात अपना अपना, करके बहुत फसाया, कोई हुआ ना अपना, अब अपना मुझे बना लो, दर पर तुम्हारें आया, ठुकराओ या उठा लो।।

दोषी हूँ मैं या सारा, ये खेल है तुम्हारा, जो हो समर्थ हो तुम, चाहे गजब झूठालो, दर पर तुम्हारें आया, ठुकराओ या उठा लो।।

बस याद अपनी दे दो, सब कुछ भले ही लेलो, विषमय ‘करील’ पर अब, करुणा की दृष्टि डालो, दर पर तुम्हारें आया, ठुकराओ या उठा लो।।

दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो, करुणा के सिंधु मालिक, अपनी विरद बचा लो, दर पर तुम्हारें आया, ठुकराओ या उठा लो।।

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ये संतो का प्रेम नगर है यहाँ संभल कर आना जी

हम तो है श्याम प्रेमी हमें श्याम रंग चढ़ा है