दीवे दी लौ वरगा जिन्दगी दा खेल वे बुझ जाना दीवा
दीवे दी लौ वरगा जिन्दगी दा
खेल वे बुझ जाना दीवा,
जदो मुक जाना तेल वे।
मान केहड़ी गल्ल दा करना वे हानियां
आनी पतझड़ सुक जान टाहनियाँ
हवा दा वरोला आवे पुट देवे वेल वे।
दीवे दी लौ वरगा….
मार के उडारी तैथो उड़िया नहीं जावना,
मुधे मुंह डिगिया फेर उठिया नहीं जावन,
काल शिकारी जदो मारनी गुलेल वे ,
दीवे दी लौ वरगा….
बंदे तू मुसाफिरी च बड़े दुःख पावेगा
राम वाली बैह जा गड्डी सौखा लंघ जावेगा
सुत्ता रिहा स्टेशनां ते लंघ जावे रेल जी
दीवे दी लौ वरगा….