श्यामा भरदे गगरिया हमारी
श्यामा भर दे गगरिया हमारी,
कहत ब्रज नारी ।।
श्यामा भर दे गगरिया हमारी
कहत ब्रज नारी
श्यामा भर दे भर दे – 2
श्यामा भर दे ममरिया हमारी,
कहत ब्रज नारी ॥
अरे हमसे चढ़ा जात नहीं मोहन ,
गंगा उंच अटारी,
पाँव धरत जियरा मेरो डरपत,
दूजे पाँव में पायल भारी, कहत ब्रिज नारी ।।
अरे गागर भरे करे रस बातें,
मदन रात अंधियारी कहत बृज नारी ॥
भर के गागर धरत उर ऊपर,
मोर आँचल छुअत बिहारी कहत ब्रजनारी ।।
अरे तू त छोरा नंदलाल बाबा के, में वृषभान दुलारी,
कहे छु अत बदन हमारी कहत ब्रिजनारी ।।
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