श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
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श्री दुर्गा स्तुति पाठ प्रारम्भ – मिट्टी का तन हुआ पवित्र गंगा के अश्नान से।
अन्तः करण हो जाए पवित्र जगदम्बे के ध्यान से।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधके।
शरण्ये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमो स्तुते।
शक्ति शक्ति दो मुझे करु तुम्हारा ध्यान।
पाठ निर्विघ्न हो तेरा मेरा हो कल्याण।
हृदय सिंघासन पर आ बैठो मेरी मात।
सुनो विनय मम दीन की जग जननी वरदात।
सुन्दर दीपक घी भरा करुं आज तैयार।
ज्ञान उजाला मां करो मेटो मोह अन्धकार।
चन्द्र सूर्य की रोशनी चमके चमन’ अखण्ड।
सब में व्यापक तेज है ज्वाला का प्रचण्ड।
ज्वाला जग जननी मेरी रक्षा करो हमेश।
दूर करो मा अम्बिके मेरे सभी कलेश।
श्रद्धा और विश्वास से तेरी जोत जलाऊ।
तेरा ही है आसरा तेरे ही. गुण गाऊ।
तेरी अदभूत गाथा को पढ़ू मैं निश्चय धार।
साक्षात दर्शन करूं तेरे जगत आधार।
मन चंचल से पाठ के समय जो औगुण होय।
दाती अपनी दया से ध्यान न देना कोय।
मैं अनजान मलिन मन न जानें कोई रीत।
अट पट वाणी को ही मां समझो मेरी प्रीत।
‘चमन’ के औगुण बहुत है करना नहीं ध्यान।
सिंह वाहिनी मां अम्बिके करो मेरा कल्याण।
धन्य धन्य मा अम्बिके शक्ति शिवा विशाल।
अंग अंग में रम रही दाती दीन दयाल।
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