मेरी माँ दे सिर उते लाल चुन्नीयां

मेरी माँ दे सिर उते लाल चुन्नीयां शेरावाली दे सीर उते लाल चुन्नीयां जोता वाली दे सीर उते लाल चुन्नीयां में ता लैंन गई सी पान अगो मिलगे हनुमान, ओदी शक्ति बड़ी महान मेरी मां दे सीर उते लाल चुन्नीयां शेरावाली दे सीर उते लाल चुन्नीयां में ता लैण गई सी छाता अगो मिल में … Read more

मैं मल्या दर तेरा दातीए लिरिक्स | Mai Maleya Dar Tera

मैं मल्या दर तेरा दातीए मैं मल्या दर तेरा दातीए किसे दा कोई किसे दा कोईकिसे दा कोई किसे दा कोईमैनू आसरा तेरा शेरावालिएमैं मल्या दर तेरा दातीए जो मंगया सो मिलिया मैनूजो मंगया सो मिलिया मैनूभरता दामन मेरा शेरावालिएमैं मल्या दर तेरा दातीए … सब दी जिंदगी रोशन करकेसब दी जिंदगी रोशन करकेकीता दूर … Read more

ओ माई री मैं बालक तू माता लिरिक्स | माई (हंसराज रघुवंशी)

ओ माई री मैं बालक तू माता माई हिंदी लिरिक्स (हंसराज रघुवंशी) – हो माई री…. हो माई री…. माई री…. माई री… ज्योत जगाऊं भवन सजाऊं रोज करूं जगराता ज्योत जगाऊं भवन सजाऊं रोज करूं जगराता तेरे फूलों से पैरों पे प्रेम से रख दूं माथा ओ माई री..मैं बालक तू माता हमारा जन्मों … Read more

tere bina na guzara e | तेरे नाम दा सहारा ए | Master Saleem

tere bina na guzara e | तेरे बिना न गुजारा ए पहला तेरे दर ते आके दर्शन किते तेरे माँ दर्शन देके माँ मेरी तू किते दूर हनेरे माँ खुश मेरे दिल हो गया खुश मेरे दिल हो गयातेरे नाम दा सहारा ए तेरे बिना न गुजारा एतेरे नाम दा सहारा ए तेरे बिना न … Read more

दुर्गा सप्तशती तेरहवाँ अध्याय |Durga saptshati terwa adhyay

दुर्गा सप्तशती तेरहवाँ अध्याय ऋषि बोले-हे राजन् ! भगवती का यह श्रेष्ठ महात्म्य मैंने तुम्हें सुना दिया इस संसार को धारण करने वाली भगवती का ऐसा प्रभाव है इसी कारण हे राजन् आप उस परमेश्वरी की शरण में ही जाइए और वही भगवती आराधना करने से मनुष्यों को भोग, स्वर्ग, मोक्ष आदि देती हैं। मार्कण्डेय … Read more

दुर्गा सप्तशती ग्यारहवाँ अध्याय |Durga saptshati gyarva adhyay

दुर्गा सप्तशती ग्यारहवाँ अध्याय ऋषि बोले–देवी के द्वारा महा दैत्यपति शुम्भ के मारे जाने पर इन्द्रादिक समस्त देवताओं ने अग्नि को आगे करके अभीष्ट के प्राप्त होने के कारण कात्यायनी देवी की स्तुति करने लगे उनके मुख कमल खिल गए थे। देवता बोले- हे शरणागत के दुःखों को दूर करने वाली देवी ! सम्पूर्ण संसार … Read more

दुर्गा सप्तशती बारहवाँ अध्याय |Durga saptshati barahwa adhyay

दुर्गा सप्तशती बारहवाँ अध्याय देवी बोलीं–जो मनुष्य एकाग्र मन से नित्य-प्रति स्तोत्र (दुर्गा सप्तशती) से मेरी प्रार्थना करता है उस मनुष्य की समस्त बाधाओं का मैं निश्चय ही शमन कर देती हूँ। जो मधु कैटभ का विनाश महिषासुर का घात और शुम्भ निशुम्भ के वध का कीर्तन करेंगे तथा अष्टमी, चतुर्दशी तथा दोनों पक्ष की … Read more

दुर्गा सप्तशती दसवां अध्याय |Durga saptshati dasam adhyay

दुर्गा सप्तशती दसवां अध्याय ऋषि बोले-अपने प्राणप्रिय भ्राता निशुम्भ को मरा हुआ देख सारी सेना का संहार होता हुआ जान शुम्भ कुपित होकर बोला–दुष्ट दुर्गे ! तू अभिमान न कर, तू दूसरों के बल का सहारा लेकर झूठे अभिमानों में चूर होकर संग्राम करती है। देवी बोली–रे दुष्ट ! इस संसार में मैं अकेली हूँ … Read more

दुर्गा सप्तशती नौवां अध्याय |Durga saptshati nova adhyay

दुर्गा सप्तशती नौवां अध्याय राजा ने कहा–हे भगवन्! आपने रक्तबीज के वध से सम्बन्ध रखने वाला देवी का चरित्र मुझसे कहा रक्तबीज की मृत्यु के उपरान्त क्रोधित शुम्भ और निशुम्भ ने क्या किया अब यह सुनना चाहता हूँ। ऋषि बोले-हे नृप ! रक्तबीज की सेना सहित मरने पर शुम्भ और निशुम्भ बहुत क्रोधित हुये इस … Read more

दुर्गा सप्तशती आठवाँ अध्याय |Durga saptshati 8 adhyay

दुर्गा सप्तशती आठवाँ अध्याय ऋषि बोले-जब चण्ड और मुण्ड महाअसुरों का देवी ने बहुत सी सेना सहित संहार कर दिया तो असुरेश्वर प्रतापी शुम्भ ने अत्यन्त क्रोध से अपनी संपूर्ण सेना को संग्राम के लिये कूच करने का आदेश दिया और बोला- आज छियासी उदायुध असूर सेनापति और चौरासी कम्बु असुर सेनापति अपनी-अपनी सेना को … Read more