कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व

कार्तिक पूर्णिमा

इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस तथि को भगवान का मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान, दीप दान आदि का विशेष महत्त्व है।

इस दिन यदि कृतिका नक्षत्र हो तो महाकार्तिकी होती है, भरणी होने से विशेष फल देती है। रोहिणी होने पर इसका महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, त्रिदेवों ने इसे महापुनीत पर्व कहा है। इस दिन अगर कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा हो और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्म योग होता है, जिसका बहुत बड़ा महत्त्व है।

सिक्खों के गुरु नानक का जन्म भी कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था । अतः इस दिन गुरु नानक जयन्ती भी मनाई जाती है।

इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूइया और क्षमा कृतिकाओं का पूजन वन्दना करने से संभूत पुण्य फल मिलता है। रात्रि में व्रतोपरान्त वृषदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है।

Leave a Comment